PM Cares Fund: प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज यानी मंगलवार (31 जनवरी) को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि पीएम केयर्स (PM CARES) भारत सरकार का फंड नहीं है। सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि इसे पब्लिक अथॉरिटी भी नहीं मान सकते। पीएमओ के अवर सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि PM CARES फंड को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है। यह भारत के संविधान, संसद या किसी राज्य विधानमंडल के कानून के तहत नहीं बनाया गया है।
- दरअसल, पीएमओ ने सम्यक गंगवाल नामक व्यक्ति की ओर से दायर याचिका का जवाब दिया है।
- गंगवाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स को सरकारी फंड घोषित करने की मांग की थी।
- हलफनामे में कहा गया है कि ट्रस्ट के कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।
- पीएमओ ने आगे कहा है कि पीएम केयर्स फंड केवल व्यक्तियों और संस्थानों की ओर से स्वैच्छिक दान स्वीकार करता है और यह किसी भी बजटीय प्रावधान या लोक उपक्रम के बैलेंस शीट से आने वाले पैसा को स्वीकार नहीं करता है।
कोरोना काल में बना था पीएम केयर्स फंड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए 28 मार्च 2020 को प्राइम मिनिस्टर सिटिजन असिस्टेंट एंड रिलीफ इन इमर्जेंसी सिचुएशन फंड (पीएम केयर्स) फंड का गठन किया था। इस फंड को गठित करने का मकसद कोरोना वायरस महामारी से निपटने में आम जनता का सहयोग प्राप्त करना था। साथ ही, इस फंड में एकत्र होने वाली राशि का इस्तेमाल कोरोनावायरस से पीड़ितों की मदद के लिए भी किया गया।
पीएम केयर्स और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) में अंतर जानिए
- पीएम केयर्स का गठन 2020 में, जब देश कोरोना से जूझ रहा था। पीएमएनआरएफ 1948 में संविधान लागू होने से पहले ही तत्कालीन पीएम नेहरू ने बनाया था।
- पीएमएनआरएफ की संचालन समिति के सदस्यों में एक कांग्रेस अध्यक्ष भी होता था। 1985 में राजीव गांधी ने इसका पूरा संचालन पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय के हाथ में दिया।
- पीएम केयर्स का गठन चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में। प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह एवं वित्त मंत्री सदस्य हैं। प्रसिद्ध हस्तियां भी ट्रस्ट के सदस्य के रूप में नामित हो सकती हैं।
- पीएम केयर्स का पैसा कब और कितना खर्च होगा, ये मंत्रियों एवं सदस्यों के सामूहिक फैसले से होता है। पीएमएनआरएफ का फैसला केवल प्रधानमंत्री करते हैं।
- पीएम केयर्स को दिया गया दान टैक्स छूट के दायरे में आएगा। उसी तरह पीएमएनआरएफ में भी दान की गयी पूरी रकम टैक्स छूट के दायरे में आती हैं।
- दोनों ही में दिया गया दान कंपनियां कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी मद में किया खर्च बता सकती हैं। पीएमएनआरएफ की ऑडिटिंग कैग नहीं करता है, कोई तीसरी पार्टी करती है। जैसे, पिछले साल अगस्त में पीएमकेयर्स फंड का ऑडिट सार्क एसोसिएट्स नाम की ऑडिट फर्म ने किया था।
किन बैंक के जरिए दे सकते हैं दान
पीएम केयर्स फंड के लिए एसबीआई सर्वप्रमुख उत्तरदायी बैंक है, लेकिन ओवरसीज बैंक के जरिए भी दान दिया जा सकता है। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और यूपीआई ट्रांसफर भी कर सकते हैं।
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं, चूंकि पीएमकेयर्स को दिया गया दान इनटैक्स कानून 1961 की 80 जी के तहत करमुक्त है, तो आप इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
आप जैसे ही पीएमकेयर में दान देते हैं, तो इसकी वेबसाइट के जरिए आपको रसीद भी मिल जाती है। हालांकि, पीएमकेयर पर अगस्त 2020 के अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह सुना चुका है कि पीएमकेयर्स फंड को पैसा एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है। 2020 मे जब कोरोना अपने पीक पर था, तब से पीएमकेयर्स फंड पर सवाल उठाए जाते रहे हैं और सरकार उनका जवाब देती आ रही है।
यह जवाब भी उसी कड़ी में एक है।
प्रकाश कुमार पांडेय
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