नूंह हिंसा:मुसलमानों के बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ SC में याचिका दायर,इस वीडियो का दिया हवाला

Petition filed Supreme Court

हरियाणा में नूंह में हिंसा के बाद मुसलमानों के बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। शाहीन अब्दुल्ला की ओर से दायर इस याचिका में नूंह हिंसा के बाद हरियाणा में दिए जा रहे नफरत भरे भाषण का मुद्दा उठाया गया है। इस याचिका में 2 अगस्त को हिसार जिले के हांसी में हिंदू संगठनों की ओर से निकाली गई यात्रा से संबंधित एक वीडियो का भी हवाला दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जिस हांसी के वीडियो का जिक्र किया गया है। वह 31 जुलाई को नूंह में हुए दंगे के दो दिन बाद 2 अगस्त का है। उस दिन हांसी में कुछ हिंदू संगठनों की ओर से पूरे बाजार में यात्रा निकाली थी। इसमें स्थानीय दुकानदारों को चेतावनी दी गई कि वे किसी भी बाहरी मुस्लिम को काम पर न रखें। बता दें नूंह में हुई हिंसा के बाद गुरुग्राम, पलवल, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे शहरों में तनाव देखने को मिला था। इसके बाद अब पोस्टर और भाषण के जरिए अल्पसंख्यकों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान किया जा रहा है। हालात ये हैं कि पुलिस की मौजूदगी में यह बात भी कही जा रही है कि मुस्लमानों को नौकरी पर रखने की स्थिति में ऐसे लोग गद्दार कहलाएंगे।

16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया

धमकी से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद हिसार एसपी के आदेश पर यात्रा में शामिल 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसमें पुलिस ने कृष्ण गुर्जर, परविंदर लोहान, भूपेन्द्र राठौड़, विनोद और 12 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ धार्मिक दंगा भड़काने का मामला दर्ज किया था। हालांकि मामला दर्ज होने और वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों के लोग हांसी एसडीएम कार्यालय पहुंचे और खेद जताया। इस वीडियो में हिंदू समुदाय के कुछ लोग हांसी के बाजार में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में दुकानदारों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उन्होंने किसी बाहरी मुस्लिम को काम पर रखा है तो उन्हें दो दिन में हटा दें। ये लोग वीडियो में यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि दुकानों के बाहर पोस्टर लगाकर मुस्लिमों को नौकरी देने वाले दुकानदारों का बहिष्कार किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ऐसे लोगों के नफरत भरे भाषण पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीजेआई के सामने कुछ उदाहरण दिए। सिब्बल ने बताया कि हरियाणा में कुछ लोग जो एक खास समुदाय के लोगों को रोजगार देते हैं। उन्हें ‘देशद्रोही’ कहकर संबोधित किया जा रहा है।

रैलियों में किया जा रहा खास समुदाय को बदनाम

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसी रैलियां एक खास समुदाय को बदनाम करती हैं और खुलेआम हिंसा और लोगों की हत्या का आह्वान करती हैं। इसका असर सिर्फ उन इलाकों तक ही सीमित नहीं है जो इस वक्त सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे हैं, बल्कि इससे दूसरे इलाकों में भी सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है। ऐसे में याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि राज्य और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि वह इस तरह की नफरत भरी भाषण वाली रैलियों की अनुमति न दे क्योंकि इससे सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित होगा। गौरतलब है कि नूंह दंगे के बाद वीएचपी और अन्य हिंदू संगठनों ने दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर रैलियां निकालने का ऐलान किया था। इसे लेकर दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि इन रैलियों में कोई भी भड़काऊ भाषण न दिया जाए। नूंह हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है।

 

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