राजीव गांधी हत्याकांड में दोषियों की रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

धमाके से पहले राजीव गांधी की आखिरी फोटो। सोर्स : ट्विटर

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले पिछले दिनों 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया गया था, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की रिहाई का अदेश दिया था, जिसके बाद 12 नवंबर को इन्हें तमिलनाडु की अलग-अलग जेलों से रिहा किया गया। इनमें नलिनी श्रीहरन, उसका पति वी श्रीहरन के अलावा संथन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन शामिल हैं। इनमें श्रीहरन और संथान श्रीलंका के नागरिक हैं।

केंद्र सरकार ने कही ये बात

दोषियों की रिहाई मामले पर केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि हमें अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया। दोषियों ने केंद्र सरकार को याचिका में पार्टी नहीं बनाया। याचिकाकर्ताओं की इस त्रुटि की वजह से भारत सरकार अपना पक्ष नहीं रख पाई। इससे नैचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है।

दोषियों में दो श्रीलंकाई भी शामिल

केंद्र सरकार की याचिका के मुताबिक रिहा किए गए आरोपियों में दो नागरिक श्रीलंका के भी हैं। वहीं कानून के मुताबिक दोषी ठहराए गए दूसरे देश के आतंकवादी को छूट देने का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस मामले में भारत सरकार का दखल बनता है। बता दें कि 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान लिट्टे की धनु नाम की एक आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। लिट्टे की महिला आतंकी धनु (तेनमोजि राजरत्नम) ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छुए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों का बटन दबा दिया था। धमाका इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के चीथड़े उड़ गए।

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