कैसे याद करें मुशर्रफ कोः भारत के खिलाफ तीन युद्ध लड़नेवाले, कारगिल में घुसपैठ करानेवाले या शांति खोजने आगरा आनेवाले के तौर पर

दिल्ली की थी पैदाइश

Pervez Musharraf Died: पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह और सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ का रविवार यानी 5 फरवरी को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। मुशर्रफ की मौत के बाद एक सवाल जो कोई भी भारतीय सोचेगा, वह ये कि मुशर्रफ को कैसे याद रखा जाएः

3 युद्ध भारत के खिलाफ लड़े और मुंह की खाई

परवेज मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक युवा अधिकारी के रूप में लड़ाई की और पाकिस्तान बहुत बुरी तरह हारा था।  हालांकि, पाकिस्तान की सरकार ने मुशर्रफ को इम्तियाजी मेडल देकर सम्मानित किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में फिर युद्ध हुआ और इस बार परवेज मुशर्रफ की महत्वूपर्ण भूमिका रही। 1971 के युद्ध के दौरान, वह एसएसजी कमांडो बटालियन के कंपनी कमांडर थे और पाकिस्तान को इस युद्ध में भी हार का सामना करना पड़ा था।

ऐसे ही परवेज मुशर्रफ जनरल के पद तक पहुंचे और उन्हें 7 अक्टूबर, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया। मुशर्रफ ने शरीफ की पीठ में छुरा घोंपा और तानाशाह बन बैठे। कारगिल में घुसपैठ के जरिए भारत की आंख में धूल झोंकनेवाले भी मुशर्रफ थे।

भारत को धोखा दिया

परवेज मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची थी, लेकिन वो बुरी तरह से असफल रहे। जब वह करगिल पर कब्जा नहीं कर सके तो इसके लिए नवाज शरीफ को दोषी ठहराया। अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि नवाज शरीफ की वजह से वह कारगिल  पर कब्जा नहीं कर पाए।

हालांकि, कारगिल में मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति नवाज शरीफ ने कहा था कि ऑपरेशन उनकी जानकारी के बिना किया गया था। वैसे, कारगिल ऑपरेशन से पहले और बाद में उन्हें सेना से मिली ब्रीफिंग का ब्योरा सार्वजनिक हो गया था और यह सबको पता चल गया कि ऑपरेशन से पहले जनवरी और मार्च के बीच, शरीफ को तीन अलग-अलग बैठकों में ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई थी।

धोखेबाज और पीठ में छुरा मारने के माहिर मुशर्रफ

फरवरी 1999 में भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बस से लाहौर की ऐतिहासिक यात्रा की थी और यह यात्रा दुनिया भर में छा गयी थी। लाहौर बस यात्रा को भारत-पाकिस्तान रिश्ते में एक अहम मोड़ माना जाता है। हालांकि, इस बस यात्रा के महज तीन महीने बाद ही मुशर्रफ ने अपनी औकात दिखा दी और आतंकियों की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने करगिल पर कब्जा करने की कोशिश की। इसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया, लेकिन सैकड़ों भारतीय जवानों को बलिदान देना पड़ा।

भारत-पाकिस्तान के बीच 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक चली करगिल लड़ाई का पूरा खाका मुशर्रफ ने खींचा था। उनकी इस योजना की भनक पाकिस्तान की नेवी और एयरफोर्स के सीनियर अफसरों तक को नहीं थी। हालांकि, 2001 में मुशर्रफ ने अपनी धोखेबाजी पर परदा डालने के लिए आगरा में शांतिवार्ता का नाटक भी किया था।

मुशर्रफ की जड़ें दिल्ली की थीं

परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 दिल्ली के दरियागंज इलाके में काफी संपन्न परिवार में हुआ था। परवेज के दादा टैक्स कलेक्टर थे और पिता भी ब्रिटिश हुकूमत में बड़े अफसर थे। उनकी मां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं। 2005 में अपनी भारत यात्रा के दौरान परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन मुशर्रफ लखनऊ, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गई थीं।

गांगुली ने दिया बढ़िया जवाब, मोदी के लिए थे मियां मुशर्रफ

साल 2005-06 में भारतीय टीम ने सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान (iND vs PAK) का दौरा किया था और महेंद्र सिंह धोनी ने गांगुली की कप्तानी में ही पहला मैच खेला था। पाकिस्तान दौरे पर धोनी की मुर्शरफ ने जमकर तारीफ की थी। परवेज मुर्शरफ ने लाहौर वनडे के बाद धोनी के हेयरस्टाइल की जमकर सराहना की थी और उन्होंने तब धोनी को बाल ना कटवाने की सलाह दी थी। धोनी और मुर्शरफ का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।

गांगुली ने कुछ साल पहले कहा था, ‘परवेज मुशर्रफ में मुझसे पूछा किया था कि आप धोनी को कहां से लेकर आए हो? मैंने उनसे कहा था कि वह वाघा बॉर्डर के पास टहल रहे थे और हमने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया।’

मोदी ने 2014 के अपने कैंपेन में मियां मुशर्रफ और उनके घात का खूब जिक्र किया था।

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