उत्तराखंड सरकार ने दिव्य फार्मेसी की दवाओं पर बैन लगा दिया है। सरकार ने दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं पर बैन लगाया है। दिव्य फार्मेसी में बाबा रामदेव की पंतजलि की दवाऐं बनती हैं।
सरकार ने क्यों और किन दवाओं को किया बैन
उत्तराखंड सरकार की आर्युवेद और यूनानी दवाओं के लायसेंसी कानून के नियमों का उल्लघंन हुआ है। दवाओं को विज्ञापन नियमों के मुताबिक नहीं है और ये विज्ञापन भ्रामक हैं।
जिन दवाओं पर बैन लगा है वो उऩका प्रयोग ब्लड प्रेशर, हाई कोलेसट्रोल , सुगर और गूल्कोमा जैसे रोगों में किया जाता है। दवा बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, थाइरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड के नाम से बेची जा रहीं हैं।
क्या है सरकार की आपत्ति
उत्तराखंड सरकार के मेल के जरिए इन दवाओं की शिकायत मिली थी। केरल से डाक्टर के वी बाबू ने मेल के जरिए शिकायत की। शिकायत में उन्होंने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मेजिक रेमेडी , ड्रग्स एंड कास्मेटिक रूल्स 1954 , और 1940 और 1945 में बने कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया। शिकायत के आधार पर सरकार के ड्रग ऑफिसर डाक्टर जी सी एस जंगपानी ने लगाया। ड्रग आफिसर ने पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन का भी आरोप लगाया। पतंजलि की दवाओं को बैन करते हुए आदेश में कहा गया कि दवाओं की फार्मुलेशन सीट और लेबल में बदलाव करें और फिर से सरकार से मंजूरी ले। मंजूरी के बाद ही दवाओं को बेचा जा सकेगा।
क्या कहना है पतंजलि का
वहीं पतंजिल का दावा है कि ये दवाऐं 500 वैज्ञानिकों की देख रेख में तैयार की जाती है। इसलिए इस दवाओं के सेवन मे किस तरह का कोई नुकसान नहीं। ये दवाऐं आर्युवेद के रिसर्च के आधार पर तैयार की जाती हैं। बाबा रामदेव की मानें तो दवाओं पर बैन करना उनके खिलाफ साजिश है। बाबा रामदेव के मुताबिक ये दवाऐं साजिश के तहत बैन कराई गई है। इस साजिश के पीछे आर्युवेद विरोधी ड्रग माफिया का हाथ है। बाबा रामदेव ने कहा कि 9 नवंबर को दवाओं पर बैन लगाने का आदेश अभी तक पतंजलि नहीं मिला है। वही आदेश की कॉपी मीडिया हाउस और दूसरे लोगों को दी जा रही है। बाबा रामदेव के कहा कि वो साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ कारवाई करेंगे।