केंद्रीय अर्धसैनिक बल’सीएपीएफ’ के लाखों जवानों का सपना है कि उन्हे पुरानी पेंशन मिले। इसके लिए उनके अपने प्रयास रहे हैं। केंद्र सरकार के समक्ष कई बार इस तरह की मांग भी रखी गई है। जब बात नहीं बनी तो मसला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा जहां कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल भारत संघ के सशस्त्र बल हैं। अदालत ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही थी। इन बलों चाहे कोई आज भर्ती हुआ हो,पहले कभी भर्ती हुआ या आने वाले समय में भर्ती होगा,सभी जवानों और अधिकारियां को पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे।
8 सप्ताह में लागू की जाए पुरानी पेंशन
दरअसल बीते 11 जरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था। कोर्ट अपने फैसले में कहा था कि सीएपीएफ में आठ सप्ताह के भीतर पुरानी पेंशन लागू कर दी जाए। अदालत की यह अवधि मार्च महिने में समाप्त हो गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नहीं गई लेकिन 12 सप्ताह का समय मांग लिया। खास बात ये है कि केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष जो दलील दी है उसमें 12 सप्ताह में ओपीएस लागू करने की बात नहीं कहीं गई थी। इस मुद्दे पर महज सोच विचार के लिए समय मांगा गया था। मतलब साफ है कि इस अवधि में केंद्र सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा सकती है। या फिर भी कोई दूसरा रास्ता भी निकाल सकती है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दी अपनी अर्जी में ये सब अधिकार अपने पास सुरक्षित रख लिए थे।
अब क्या सैनिकों सपना होगा पूरा
बीते 11 जनवरी को सीएपीएफ में पुरानी पेंशन व्यवथा को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया था पर केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से फरवरी 2024 तक का स्थगन आदेश ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने यह स्टे आर्डर दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषाद मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। फिलहाल यह तो तय हो गया है कि फरवरी 2024 तक पुरानी पेंशन पर कोई निर्णय नहीं होना है। इसके बाद क्या स्थिति बनेगी ये आने वाले समय में पता चलेगा।