दयनीय और बदहाल पाकिस्तान को चीन के तिनके का सहारा, पर आखिर कब तक इकोनॉमी बच पाएगी?

Pakistan Economic Crisis

Pakistan Economy: दिवालिया होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान को चीन ने राहत दी है। कर्ज के लिए कई देशों में भटकने के बाद भी पाक को कहीं से मदद नहीं मिल रही थी। शुक्रवार यानी 24 फरवरी को चीन ने पाकिस्तान को अपनी बीमार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद दी। यह मदद ऐसे समय पर आई है जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

कर्ज के दलदल में है पाकिस्तान

पाकिस्तान का बाहरी लोन और देनदारी मिलाकर करीब 130 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 95.39 फीसदी है। आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को अगले 12 महीनों में करीब 22 अरब डॉलर और साढ़े तीन साल में कुल 80 अरब डॉलर वापस करना है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 3.2 अरब डॉलर है और इसकी आर्थिक विकास दर महज दो फीसदी है।

कर्ज चुकाने में ही जा रही सारी कमाई

पाकिस्तान फिलहाल अपने केंद्रीय बजट का लगभग आधा हिस्सा कर्ज चुकाने में इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान सरकार ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए हैं, लेकिन यह आसमान छूती महंगाई की पृष्ठभूमि में काफी नहीं है। पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का व्यापक बोझ नुकसान देने वाले नीतियों और आर्थिक असंतुलन पर दबाव आदि का नतीजा है। इससे निपटने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 22 कार्यक्रमों सहित अलग-अलग आर्थिक सहयोगों और कर्जो पर निर्भरता बढ़ रहा है।

चीन को बताया सच्चा दोस्त

पाकिस्तान के मंत्री डार ने ट्वीट के जरिये कर्ज की सूचना दी। उन्होंने लिखा, “स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को चाइना डेवलपमेंट बैंक से आज 70 करोड़ डॉलर का फंड मिला है। इस मदद के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने इस “विशेष मित्र” के प्रति आभार व्यक्त किया है।”

उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान का सहयोगी देश है। हम सभी आईएमएफ समझौते की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन उससे पहले चीन ने मदद करके साबित किया है कि वह पाक का सच्चा दोस्त है।

आईएमएफ से है अब बड़ी उम्मीद

डार ने कहा कि दिवालिया होने से बचने के लिए पाकिस्तान सरकार लगातार कोशिश कर रही है। पाकिस्तान आईएमएफ से आर्थिक पैकेज पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

बता दें कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार, जो कुछ सप्ताह पहले 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर के निम्न स्तर तक चला गया था। वह अब बढ़कर 4 बिलियन अमरीकी डॉलर के करीब पहुंच गया है।

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