पाकिस्तान की संसद में इन दिनों चूहों का आतंक काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान के संसद में मौजूद कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को यह चूहे नष्ट कर चुके हैं। कंप्यूटर केबल को भी चूहे काट रहे हैं। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए अब पाकिस्तान की सरकार को शिकारी बिल्लियों का भरोसा है। संसद में जाल बिछाने की भी योजना बनाई जा रही है। इसके लिए पाकिस्तान की शरीफ सरकार ने करीब 12 लाख रुपये का बजट भी पास कर दिया है।
- पाकिस्तान की संसद में चला रहे है चूहे ‘विशेष सत्र’
- शरीफ सरकार ने चूहों से निपटने के लिए पास किया बजट
- चूहों को खत्म करने के लिए 12 लाख रुपये का बजट
- अब शिकारी बिल्लियों के भरोसे पाकिस्तान की सरकार
दरअसल पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अब उसके लिए चूहे नया सिरदर्द बन चुके हैं। पाकिस्तान की संसद में चूहों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत के पड़ोसी मुल्क की संसद में चूहे वहां रखे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज चट कर गए हैं। ऐसे में पाकिस्तान प्रशासन की ओर से स्थिति को संभालने के लिए इंतजाम किये जा रहे हैं। संसद भवन में चूहों के आतंक को खत्म करने के लिए पाकिस्तानी सरकार ने संसद में शिकारी बिल्लियों को छोड़ने और जाल बिछाने का फैसला किया है। इस पूरी प्रक्रिया के सरकार की ओर से करीब 12 लाख पाकिस्तानी रुपये भी आवंटित कर दिये गये हैं।
बढ़ती जा रही है संसद मे चूहों की तादाद
अरब न्यूज कीरिपोर्ट्स की माने तो इन दिनों पाकिस्तान की संसद में चूहों की तादाद धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। संसद में इन चूहों की आमद से बहुत सारे महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेज पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं कुछ हो रहे हैं। नेशनल असेंबली के साथ ही सीनेट – संसद के दोनों सदनों में यह स्थिति बनी हुई है। बताया जाता है कि वहां चूहे सिर्फ अहम दस्तावेज ही नहीं बल्कि संसदी के कंप्यूटर केबल भी कुतर रहे हैं। ऐसे में अब पाकिस्तानी सरकार ने शिकारी बिल्लियों को संसद भवन में छोड़ने के अलावा चूहों को पकड़ने के लिए संसद में जाल बिछाने को लेकर भी योजना बनाई है। इसके लिए सरकार की आर से निजी संस्थाओं की भी सहायता ली जा रही है।
संसद भवन की दूसरी मंजिल पर सबसे ज्यादा चूहों की संख्या
दरअसल पहली बार इस समस्या का खुलासा उस समय हुआ जब एक सरकारी समिति की ओर से साल 2008 के दस्तावेज हासिल करने का प्रयास किया गया। दस्तावेजों को जब देखा तो पता चला कि अधिकांश दस्तावेज चूहे कुतर गए थे। सबसे अधिक परेशानी संसद भवन की दूसरी मंजिल पर है। जहां चूहों की संख्या दूसरी जगह की अपेक्षा सबसे ज्यादा है। बता दें दूसरी मंजिल में विपक्ष के नेता का कार्यालय बना है। अधिकांश सियासी दलों और संसदीय स्थायी समिति की भी बैठकें दूसरी मंजिल पर ही होती है। दिन के वक्त लोगों की भीड़ अधिक होने के चलते चूहे नजर नहीं आते हैं लेकिन रात का अंधेरा होते ही संसद भवन में चूहे विशेष सत्र आयोजित करते हैं।