आखिरी सांस तक मारते रहे दहशतगर्द हिन्दू पर्यटकों को गोली… पहलगाम में दरिंदों का खूनी खेल.. हनीमून मनाने पुलवामा गए थे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल.. मौत के बाद सदमे में नवविवाहिता
नेवी में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी पहलगाम हनीमून मनाने गए थे। लेकिन उनका ये हनीमून आतंकवादी हमले से त्रासदी में बदल गया। आतंकियों ने लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को मौत के घाट उतार दिया। उनकी पत्नी गहरे सदमे में चली गई। सप्ताहभर पहले शादी के बंधन में बंधे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी ने चमकती आंखों से न जाने कितने सपने देखे थे लेकिन किसे मालूम था कि यह सपने चंद मिनटों में चकनाचूर हो जाएंगे।
- आतंकी हमले में मारे गए नेवी में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल
- एक सप्ताह पहले ही हुई थी विनय नरवाल की शादी
- हनीमून मनाने गए थे पहलगाम
- विनय की मौत के बाद सदमे में पत्नी
- आतंकी हमला, त्रासदी में बदला हनीमून
- पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों पर आतंकी हमला
सुनो बस एक बार मेरी बात को सुन लो। मैं कसम से इसके बाद कुछ नहीं कहूंगी। शादी के पहले जब फोन करते थे तुम कहते थे… हम शादी के बाद ऐसी जगह हनीमून मनाने जाएंगे जहां चारों तरफ वादियां ही वादियां होंगी। उनमें मौजूद दरख्तों से वहां नाजरा गुलजार होगा। अब सामने दूर-दूर तक सिर्फ एक सूनापन है। तुमने कहा था कि वादियों में तुम वहां पर मेरी गोद में सिर रखकर आराम करोगे। आंखे खोलकर देखों न,जैसा तुम सोचते थे। ठीक बिल्कुल वैसा ही नजारा है। चारों तरफ वादियां ही वादियां हैं। असंख्य दरख्त मौजूद हैं। चोरों ओर खामोशी है, लेकिन तुम क्यों खामोश हो गए। दिल को झकझोर देने वाले यह शब्द हैं नेवी में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की नव विवाहित पत्नी के, जिनकी मांग का सिंदूर आतंकियों की गोली से धुल गया।
- आतंकियों ने आंखों पर बांधी पट्टी और मार दी गोली
- जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने खेला खूनी खेल
यह दास्तान है विनय और और उनकी पत्नी हनीमून मनाने वादियों मे पहुंचे ये दोनों इस पल का महीनों से सपना देखे रहे थे। शादी की सारी हलचल और रस्म रिवाज के बाद जब सभी रिश्तेदार घर से विदा हो गए तब विनय नरवाल अपनी दुल्हन को लेकर आखिरकार पहाड़ों की गोद में जा पहुंचे। कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। ऐसे में इन दो नव युगल ने हनीमून के लिए पहलगाम को चुना। यहां की शांति, सुंदर और सुकून देने वाली वादियां चिरार के दरख्त यहा उनका हनीमून था। एक नए सफर की वे शुरुआत करने आए थे। साथ ही एक साथ जीने और एक साथ्म मरने का वादा भी दोनों ने एक दूसरे से किया था।
विनय की पत्नी कहतीं हैं उन्हें वैसे भी पहाड़ बहुत पसंद थे। वो हमेशा कहते थे देखो ये पहाड़ कितने मजबूत और अडिग होते हैं। इनका तूफानों भी नहीं बिगाड सकता ये डगमगाते नहीं है।
गोली लगने से पहले विनय नरवाल जमीन लेटे थे नवविाहिता पत्नी ने गोद में उनका सिर रखा था। विनय की आंखें बंद थी, चेहरे पर सुकून था, फिर अचानक एक अजीब सी आवाज़ ने खोमाशी को तोड़ा। यह आवाज ना पंछियों की थी और ना हवा की। यह चीखें थीं। गोलियों की थर्राने वाली आवाजें थीं। इन गोलियों की आवाज में रंजना की खुशी भी कहीं गुम हो गई, क्योंकि दहशतगर्दो ने उसकी दुनिया उजाड़ दी थी, रोहन को मौत के घाट उतार दिया था।
आतंकियों ने वहां उनके नाम पूछे। नाम के आधार पर ही फ़ैसला किया कि किसे मारना है और किसे जीने देना है। विनय ने जैसे ही अपना नाम बताया फिर गोली चली तो बस एक पल में सन्नाटा छा गया। उनकी पत्नी की भी आवाज़ निकल ही नहीं पाई। वो ज़मीन पर जा गिरी।…प्रकाश कुमार पांडेय