बेहद चर्चित यूनिफॉर्म सिविल कोड पर 9 दिसंबर यानी शुक्रवार को राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश हो गया। वैसे तो विपक्ष ने इस बिल पर जमकर हंगामा किया, लेकिन उसे नजरअंदाज कर भाजपा सांसद किरोड़ीमल मीणा ने इसे पेश किया।
भाजपा सांसद ने लंच के बाद गैर-सरकारी कामकाज शुरू होने के बाद ‘भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक 2020’ को प्राइवेट बिल के तौर पर पेश किया। विधेयक के पेश होते ही लगभग पूरा विपक्ष अपने पैरों पर खड़ा हो गया। कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके समेत कई और दलों के सांसदों ने विधेयक की निंदा की। उन्होंने कहा कि यूसीसी का विचार ही धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, और यह देश के सामाजिक ताने-बाने को ही नष्ट कर देगा। उन्होंने सभापति जगदीप धनखड़ से इसे पेश करने की अनुमति नहीं देने को कहा।
मत-विभाजन में भाजपा की जीत
हंगामा बढ़ने के बाद सभापति धनकड़ ने विपक्ष की मांग पर बिल के ऊपर मत-विभाजन करवाया। इसमें भाजपा सांसद किरोड़ीमल मीणा का प्रस्ताव विजयी रहा। मत-विभाजन में सदन में इस बिल के पक्ष में 63 और विपक्ष में 23 मत पड़े।
संविधान का UCC पर क्या कहना है?
वैसे, हमारे संविधान में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC का उल्लेख है। सरकार को सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक समान कोड बनाने का इसमें साफ निर्देश है।
दिक्कत ये है कि देश में हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए हिंदू कोड बिल बना, तमाम तरह के सुधार भी हुए, लेकिन मुस्लिमों पर पर्सनल लॉ लागू होता है, जिसमें कई तरह की प्रतिगामी बातें मौजूद हैं।
भाजपा का है वादा
केंद्र में फिलहाल सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने यूसीसी को लेकर 2019 के चुनावी घोषणापत्र में भी वादा किया है। इसके अलावा गुजरात और हिमाचल के चुनाव में भी इसके नेता बोलते रहे हैं। फिलहाल, तो संसद का यह सत्र हंगामाखेज होने के आसार हैं।