राजनीति की गलियों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार पूरे देश के भाजपा विरोधी दलों को एक साथ लाने के लिए दर दर भटक रहे हैं,लेकिन खुद के राज्य बिहार में ही अपने सहयोगियों को एकजुट नहीं कर पा रहे हैं। इसकी बानगी पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे और नीतीश कुनबे के मंत्री संतोष कुमार सुमन बने हैं। जिन्होेंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर जेडीयू को आइना दिखाने का प्रयास किया है।
जीतनराम मांझी ने किया दिए थे संकेत
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने हाल ही में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कुछ संकेत दिए थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि हम बिहार में 1 सीट पर भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। जब उनसे पूछा कि मजाक तो नहीं कर रहे, तो उन्होंने कहा था कि आगे देखिए क्या होता है और मंगलवार को संतोष सुमन का इस्तीफा सामने आ गया। इस राजनैतिक विवाद पर हम पार्टी के बिहार अध्यक्ष प्रफुल्ल मांझी ने अपने बयान में कहा कि सीएम नीतीश कुमार के स्तर पर हम को जेडीयू में मर्ज करने का दवाब बनाया जा रहा था जिसको लेकर हमारी पार्टी कतई सहमत नहीं थी,इसलिए डॉ सुमन मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।
बिहार में सियासी खेल की कहानी
अगर सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो बिहार में राजनैतिक कहानी कुछ अलग ही है। यहां जीतनराम मांझी की नाराजगी को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने मांझी को मैनेज करने के लिए विजय चौधरी को जिम्मेदारी दी गई थी।जब जीतन राम मांझी अपने बेटे के साथ संतोष सुमन के साथ विजय कुमार चौधरी से मिलने गए थे और उन्हीं को इस्तीफा सौंप दिया। वहां से निकलने के बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार अगर उनकी मांग मान लें तो महागठबंधन में बने रहेंगे। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनकी मांगें क्या हैं।
सीटों के बंटवारे पर फंसेगा पेंच
लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ने लगा है। कई क्षेत्रिए दलों ने अभी से प्रेशर पॉलिटिक्स शुरु कर दी है। जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने इसकी शुरुआत कर दी है। मांझी नीतीश कुमार से लगातार लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर मांग कर रहे थे। उन्होंने साफ किया था कि लोकसभा चुनाव 2024 में उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं मिली तो बिहार की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। जीतन मांझी ने 5 सीटों की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने नीतीश कुमार के साथ रहने की कसम तोड़ने का भी इशारा दिया था। यदि इसी तरह और दलों ने साथ छोड़ा तो विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ा झटका हो सकता है।