आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए विपक्ष एकजुट होने के दावे कर रहा है। इसके लिए लगातार विपक्षी दल मेल मुलाकात करने में लगे हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने प्रयासों से पटना में विपक्षी नेताओं की मीटिंग बुलाई है। यहां भाजपा को लोकसभा चुनाव हराने के लिए ये सभी नेता अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे। 12 जून को आयोजित होने जा रही बैठक में कई दलों के नेताओं के शामिल होने की संभावना बताई जा रही है। इधर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को लेकर भी मंथन शुरु कर दिया है।
यूपी पर भाजपा कर रही फोकस
भारतीय जनता पार्टी,सियासी नजर से उत्तर प्रदेश के महत्व को अच्छी तरह पहचानती है। यही कारण है कि भाजपा अपना उत्तर प्रदेश पर ज्यादा फोकस कर रही है। पार्टी को ये भी मालूम है कि विपक्षी दल एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्ष एक साथ आता है या नहीं ये बाद की बात है,लेकिन भाजपा अपनी तैयारियों में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती है। इसलिए पार्टी आने वाली चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बसपा के कई बड़े नेता भाजपा में होंगे शामिल?
लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है। लेकिन नेताओं के आने जाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। ऐसे कई नेता है जो भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यदि सूत्रों की मानें तो आगामी दिनों में बहुजन समाज पार्टी के कुछ सांसदों को हाथी की सवारी रास नहीं आ रही है। यही वजह है कि कई सांसद हाथी की सवारी छोड़कर भाजपा का दामन थामने के लिए बचैन हैं। हालांकि सूत्र ये भी बता रहे हैं कि इनकी भाजपा के बड़े नेताओं से लगातार चर्चा हो रही है। कुछ मुद्दे हैं जिनको लेकर मामला अटक रहा है बाकी 98 प्रतिशत बात पक्की होना बताई जा रही है।
यूपी में किसके बीच होगा मुकाबला
राजनीतिक हल्कों में चर्चा इस बात को लेकर भी है,कि उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही होना है। क्योंकि कांग्रेस की सक्रियता बहुत ज्यादा दिखाई नहीं दे रही है। अभी तक यही पता नहीं है कि यहां कांग्रेस किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। जहां तक बसपा का सवाल है तो पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल की चार से पांच सीटों पर मुख्य मुकाबले में रह सकती है।
नगरीय निकायों में मिले फायदे की वजह
भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में काफी कुछ राजनैतिक फायदा मिला है। पार्टी ने यहां सभी 17 नगर निगमों में अपनी जीत का परचम लहराया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य में भाजपा को फायदा मिलने के तमाम कारणों के साथ एक साथ एआईएमआईएम भी है। नगरीय निकाय चुनाव के परिणामों को देखें तो निकाय चुनाव में मेरठ नगर निगम सहित कुछ नगरीय निकायों में एआईएमआईएम की मजबूत स्थिति का फायदा भी भाजपा को मिला है। हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में एआईएमआईएम के प्रत्याशी उतरने की स्थिति में भाजपा को फायदा मिल जाए।