आखिर क्यों मुखर हुए देशभर के अधिवक्ता…जानें क्यों हो रहा है अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक का विरोध

Opposition to Central Government Advocates Amendment Bill

केन्द्र सरकार के अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन किये के प्रस्ताव का पूरजोर विरोध किया जा रहा है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विधि मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 पर कड़ी आपत्ति जताई है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानि बीसीआई का मानना है कि यह विधेयक कानूनी पेशे की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है। प्रस्तावित संशोधन विधेयक से केंद्र सरकार को बीसीआई को बाध्यकारी निर्देश जारी करने का अधिकार मिल जाएगा। जिससे इस पेशे की स्वतंत्रता प्रभावित होगी। इस मुद्दे पर विभिन्न स्टेट बार काउंसिल और स्थानीय बार संगठनों ने भी प्रदर्शन और ज्ञापन के जरिए विरोध जताया है।

दिल्ली बार एसोसिएशन ने इस विधेयक के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की, जबकि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने प्रदेशव्यापी भरना और प्रदर्शन किया है। उत्तराखंड में भी चैम्बर बंद करके वकीलों ने जमकर प्रदर्शन किया। विरोध का मुख्य कारण अधिवक्ताओं के अधिकारों और स्वायत्तता को सीमित करना है। प्रस्तावित विधेयक में न्यायिक कार्य बहिष्कार पर प्रतिबंध, विदेशी कानूनी फर्मों के भारत में प्रवेश की अनुमति वकीलों की पेशेवर जवाबदेही बढ़ाने और बार काउंसिल की स्वायत्तता को सीमित करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।

बीसीआई और विभिन्न राज्य बार काउंसिल्स ने केंद्र सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह विधेयक अभिवताओं की स्वतंत्र सुरक्षा और कानूनी पेशे की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में प्रस्तावित संशोधनों पर चिंता व्यक्त की है। जिसमें केंद्र सरकार को बार काउंसिल ऑफ इठिया को बाध्यकारी निर्देश जारी करने का अधिकार देने का प्रावधान शामिल है। दिल्ली बार एसोसिएशन ने उन कठोर प्रावधानों के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया है, जो अनुचित और वर्तमान न्यायिक अभ्यास के प्रभावी कार्यान्वयन के नाम पर वकीलों की प्रैक्टिस के लिए खतरा हैं।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने भी प्रस्तावित संशोधन का विरोध जताया है और प्रदेश की सभी बार एत्तोसिएशन से आह्वान किया है कि 21 फरवरी और 25 फरवरी को प्रदेश व्यापी भरना, प्रदर्शन, और न्यायिक कार्यों से विरक्त रहना है। अधिवक्ताओं की मांग है कि अधिवक्ता व उनके परिवार के लिए अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया जाय।…प्रकाश कुमार पांडेय

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