बेंगलुरु में होने जा रही विपक्षी दलों की बैठक पर पूरे देश की नजर है। माना जा रहा है कि भाजपा से निपटने के लिए विपक्षी दल यहां बैठकर रणनीति बनाएंगे। करीब दो दर्जन दल इस बैठक में शामिल हो रहे हैं और उम्मीद की जा रही रही है जून में हुई पहली विपक्षी दल की बैठक से करीब डेढ़ ज्यादा दल इसमें शामिल होंगें। बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होना है उसको लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। सियासी गलियों में कहा जा रहा है कि बैठक में हुए मंथन से जो भी निकलेगा उस पर बहुत कुछ चीजे तय होंगी। यदि नेताओं में आपसी सहमति नहीं बनी तो सियासी विष का सामना विपक्ष को करना पड़ेगा। यदि अमृत निकला तो भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो जाएगी।
पिछली बैठक के किसी एजेंडे पर चर्चा नहीं होगी
विपक्षी दलों की इस दूसरी बैठक को लेकर कहा जा रहा है कि बेंगलुरु की इस बैठक में पहली बैठक के एजेंडे पर चर्चा नहीं होगी। इस बैठक के लिए कांग्रेस नेे पूरी रूपरेखा तैयार करके रखी है। जिसको लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने साफ कहा कि प्रमुख विपक्षी दल दिल्ली अध्यादेश का समर्थन नहीं करेंगे। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो हमारी पार्टी का साफ कहना है कि कांग्रेस किसी भी हालत में अध्यादेश का समर्थन करने के पक्ष में नहीं है।
सीट बंटवारे पर फंसेगा पेंच
बैठक को लेकर कई नेताओं का कहना है कि इसमें सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं होगी। यहां भाजपा को मात देने के लिए बनाई जाने वाली रणनीति पर चर्चा होगी। चॅूकि पहला मुद्दा है कि भाजपा को टक्कर देने का। जहां तक सीट बंटवारे का सवाल है तो चुनाव के दौर इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है लेकिन पहले एक पुख्ता रणनीति पर विचार होना चाहिए। कई नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे का समझौता राज्य स्तर पर होना चाहिए। वहीं जानकारों का कहना है कि सियासी गठबंधन की शुरुआत ही सीट शेयरिंग से होती है। यदि इसकी बात नहीं होगी तो हर एक दल के मन में संशय पैदा होगा। किसे कितना महत्व मिल रहा है इसके लेकर मतभेद पैदा होंगे। इसलिए सीट बंटवारे को लेकर राजनीतिक दलों में पेंच फंसने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
एनडीए सरकार को घेरने पर होगी चर्चा
विपक्षी दलों के कई नेताओं का कहना है कि केंद्र की एनडीए सरकार की घेराबंदी पर हम लोग ज्यादा ध्यान देंगे। हमारे पास जनहित के कई मुद्दे हैं जिन्हे लेकर संसद से लेकर सड़क तक उतरा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में हिंसा,बालासोर ट्रेन हादसा,संघीय ढांचे पर हमला और राज्यपालों की भूमिका जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर विपक्ष चर्चा करेगा।
ये नए दल बैठक में हो सकते हैं शामिल
. केरल कांग्रेस (मणि)
. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)
. मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)
. कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके)
. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक
. विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके)
. केरल कांग्रेस (जोसेफ)
. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग