संसद का मॉनसून सत्र: मणिपुर हिंसा, अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा की मांग,विपक्ष के काले वस्त्र बने सरकार के खिलाफ अस्त्र

संसद के मॉनसून सत्र के 6वें दिन लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा को लेकर जमकर हुआ हुआ। इस मुद्दे पर मोदी सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है। वहीं इस बीच विपक्ष के गठबंधन INDIA की ओर से गुरुवार को अहम बैठक बुलाई। जिसमें विपक्षी दलों के सांसद काले कपड़े पहने नजर आए। विपक्षे सांसद मणिपुर पर चर्चा की अनुमति न देने और उनके अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा शुरू न किये जाने को लेकर नाराज हैं और केंद्र सरकार के विरोध में इस तरह काले कपड़े पहनकर आए।

बैठक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चेंबर में हुई। जहां से जानकारी निकलकर आई कि बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष ने अपनी रणनीति पर मंथन किया। विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार से अविश्वास प्रस्ताव पर अविलंब चर्चा की मांग कर रहा है।

मणिपुर में तीन मई से हिंसा का दौर

बता दें मणिपुर में तीन मई से हिंसा का दौर जारी है। वहां अब तक करीब 160 से ज्यादा लोग हिंसा का शिकार हो चुके हैं। इन लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं इस हिंसा के विरोध में उबाल उस समय आया जब वहां का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें हिंसक लोगों की भीड़ ने दो महिलाओं की न्यूड परेड कराई। सामूहिक दुष्कर्म किया। ये वीडियो सामने आने के बाद विपक्ष जैसे ति​लमिला उठा। इसके बाद से ही मणिपुर हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में संग्राम छिड़ा हुआ है। विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर बयान दी साथ ही पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा हो। वहीं केन्द्र सरकार अपने गृह मंत्री अमित शाह के बयान के साथ चर्चा कराने को तैयार है, लेकिन विपक्ष पीएम मोदी से ही जवाब मांग रहा है।

क्या अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देंगे पीएम?

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ये जानते हुए भी कि वह बहुमत में है इसके बाद भी अविश्वास लेकर आया है। ये साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सदन में गिर जाएगा। लेकिन ऐसे सवाल यह उठता है कि पूर्ण बहुमत की केन्द्र सरकार होने के बाद भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया है। दरअसल विपक्षी दल मानते हैं मणिपुर मामले में इस तरह जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूर किया जा सकता है। क्योंकि मणिपुर के मामले पर सदन में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री को सदन में जवाब देना होगा। यही कारण है कि विपक्षी पार्टियां आंकड़ा न होने के बाद भी अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में लेकर आई हैं।

लोकसभा और राज्यसभा में किसकी कितनी भागीदारी

लोकसभा में एनडीए गठबंधन वाली मोदी सरकार बहुमत में है। अकेले बीजेपी के पास 301 सांसद हैं तो एनडीए गठबंधन के पास 333 सांसद की संख्या बल है। वहीं विपक्ष की बात करें तो उसके पास कुल जमा 142 सांसद ही हैं। जिसमें कांग्रेस के सबसे ज्यादा 50 सांसद हैं। राज्यसभा की बात करें तो एनडीए गठबंधन के पास 105 सांसद की ताकत है।
जब I.N.D.I.A गठबंधन के पास सांसदों की संख्या का ये आंकड़ा 93 पर ठहर जाता है।

ये है अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया

केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करीब 50 सांसदों का समर्थन होना जरूरी है। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किये जाने के बाद सदन के 51 प्रतिशत सदस्य उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं तो यह पारित हो जाता है। इसके बाद माना जाता है कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है इसके बाद उसे पद से इस्तीफा देना होगा। सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है।

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