राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद विपक्ष धीरे धीरे जुट हो रहा है। वहीं सरकार के खिलाफ कांग्रेस भी लगातार हमलावर नजर आ रही है। कांग्रेस ने मंगलवार और बुधवार को कई शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का ऐलान किया। वहीं उद्धव गुट की शिवसेना राहुल गांधी के सावरकर पर दिए बयान से नाराज है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी को सजा नहीं हो पाई तो क्या अपने हाथ से निकलचुकी सांसद की कुर्सी राहुल गांधी बचा पाएंगे। बता दें कभी स्वर्गीय इंदिरा गांधी की भी दो सदस्यता से निरस्त किया गया था। लेकिन वो मामले राहुल गाँधी के मामले से बिलकुल अलग थे। राहुल गांधी के मामले में सत्तारूढ़ भाजपा साफ़ तौर पर अब दबाव में दिखने लगी है। जिस तरह से सरकार के मंत्री और नेता बयान दे रहे हैं उससे संकेत साफ़ है कि जनता समझ रही है।
- कांग्रेस ने कई शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का किया ऐलान
- अदाणी मामले में दबाव में केन्द्र सरकार
- कांग्रेस के साथ खडे़ नजर आने लगे विपक्षी दल
राजनीतिक पंडितों की माने तो राहुल गांधी की सदस्यता जिस तरह निरस्त की गई। उस पूरे मामले विपक्षी दलों को भी कांग्रेस के साथ ला खड़ा किया है। जो दल कभी कांग्रेस से दूर थे वे करीब आ रहे हैं। जैसे टीएमसी, भारत राष्ट्र समिति, जेडीयू ही नही समाजवादी पार्टी भी संसद में चल रहे गतिरोध के दौरान अडाणी के सवाल पर एकजुटता दिखा चुकी है। हालांकि राहुल गांधी जब संसद में बोलने के सवाल पर सरकार को घेर रहे थे तब ये दल कांग्रेस से अलग रखकर चल रहे थ्े। बता दें कांग्रेस ने दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर पोस्टरबाज़ी शुरू की थी। वहीं जब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म की गई तो ये दल भी राहुल के समर्थन में नजर आए। संसद में राहुल गांधी के समर्थन में आम आदमी पार्टी खडी थी।।
उद्धव ने राहुल को नसीहत दी,फिर भी साथ रहे
राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यालय में संवाददाता सम्मलेन के दौरान कहा था कि वे सावरकर नहीं हैं। ये उनके सहयोगी दल शिवसेना को ठीक नहीं लगा। ऐसे में शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राहुल गांधी के बयान की निंदा की। और उन्हें नसीहत दी। कहा कि उकसावे में ना आएं। इस तरह के बयान ना दें। द्धव ठाकरे ने कहा सावरकर को वे अपना आदर्श मानते हैं। इस सब के बाद भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना राहुल गांधी के साथ खड़ी नज़र आ रही है। इसे लेकर सियासी जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी की सदस्यता ख़त्म करने के मामले ने विपक्ष के दूसरे दल भी सोचने मजबूर हो गए हैं। जो विपक्ष पहले अपने अलग अलग स्टैंड पर चलते थे.. वे राहुल गांधी के मामले मंें साथ खडे़ हैं क्योंकि उन्हें भी लगता है कि ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। एकता जरुरी है। वैसे राजनीति में कोई भी ऐक्शन पूरे फायदे या पूरे नुकसान जैसा नहीं रहता। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने का प्रकरण में पूरा विपक्ष यहाँ तक केजरीवाल से लेकर ममता तक सबने विरोध कर रहे हैं। इसी के बाद से कहा जा रहा है राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता में एक बड़ा फैक्टर बन गए हैं। पिछले दिनों राहुल गांधी ने मीडिया के सामने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें एक ऐसा हथियार दे दिया जिसका खामियाजा बीजेपी को ही भुगतना पड़ेगा। शायद उनका इशारा इसी एकता को लेकर था। इससे पहले शरद पवार के घर बैठक भी हुई थी। पार्टियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिसमें कॉंग्रेस समेत के नेता शामिल हुए।