पहलगाम आतंकी हमले से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष का सधा कदम… मोदी सरकार का दिया साथ….पिछली बार की थी ये बड़ी गलती!

पहलगाम आतंकी हमले से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष का सधा कदम… मोदी सरकार का दिया साथ….पिछली बार की थी ये बड़ी गलती!

पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ विपक्ष भारत सरकार के साथ मजबूती से खड़ा है। पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष ने केंद्र सरकार के हर कदम का साथ दिया। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने केन्द्र की मोदी सरकार के सामने अपने समर्थन के लिए कोई शर्त नहीं रखी। उन्होंने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ हर कदम उठाने सरकार को छूट दी। इसके भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने को नष्ट किया। ऐसे में विपक्ष ने बिना सवाल उठाए और कोई सबूत मांगे सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए।

जम्मू कश्मीर के पहलगाम हमले को लेकर विपक्ष ने उरी और पुलवामा मामले जैसी गलती नहीं दोहराई। यूपीए सरकार के दौरान रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले ए के एंटनी जिन पर मोदी सरकार अक्सर हमला करती रही है उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को महज एक शुरुआत’ बताया था। एंटोनी ने कहा था कि उन्हें यकीन है कि भारतीय सेना सीमा पार से पाकिस्तानी सेना के ठिकानों के पीछे बने आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए निर्णायक कदम उठाएगी।

आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय सेना का साहस हर नागरिक का विश्वास है। आतंक के खिलाफ हम सब एक साथ हैं। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने भी ऑपरेशन सिंदूर के कदम का स्वागत किया था। दोनों ने देश के जवानों को सल्यूट किया और सेना की सराहना की।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव जो अक्सर बीजेपी के विरोध में ही खड़े रहते हैं उन्होंने पहलगाम हमले के बाद से एनडीए सरकार के सुर में सुर मिलाया। सेना के ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और पाकिस्तान पर एक्शन के लिए भारतीय सेना के जवानों की प्रशंसा की। यही नहीं सीपीआई की ओर से भी यह कहा गया कि पहलगाम हमले के बाद भारत के पास जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेफ्ट पार्टी इससे पहले तक ऐसी किसी भी कार्रवाई के खिलाफ ही रहती थी। लेकिन पहलगाम हमले ने उसके तेवर को बदलने पर मजबूर कर दिया है।

दरअसल भारतीय सेना की ओर से उरी हमले के बाद सार्जिकल स्ट्राइक की गई थी। पुलवामा के हमले के बाद भी पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक की गई थी। जिसे लेकर विपक्ष की ओर से सवाल खड़े कर करते हुए सबूत मांगे थे। ऐसे में तब बीजेपी को भी मोका मिल गया और उसने विपक्ष को राष्ट्र विरोधी कठघरे में खड़ा कर दिया था। जिसका नुकसान विपक्ष को सियासी तौर पर उठाना पड़ गया था। ऐसे में पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर तक विपक्षी दल भारतीय सेना और सरकार के साथ मुस्तैदी के साथ खड़ा नजर आ रहा है।

पुलवामा के सबूत मांगने पर हुआ था कांग्रेस को नुकसान

2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों ने हमला किया था। जिसमें भारत के 40 जवानों शहीद हुए थे। इसके बाद भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई। जिसमें कई आतंकियों को मार गिराया था। बालाकोट आतंकी हमले के एक दिन बाद ही लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर जमकर प्रचार किया गया था। ऐसे में 21 विपक्षी पार्टियों ने एक साझा बयान जारी कर उसमें कहा था कि वे बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए सरकार की ओर से सेना के बलिदानों के मुद्दे पर राजनीति करने पर दुख जाहिर करते हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बालाकोट हमले के बाद एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान को हुए नुकसान के ‘सबूत’देने की मांग की थी। जिसके लिए खुद दिग्विजय सिंह और कांग्रेस को अलोचना झेलना पड़ी थी। इस बात को बीजेपी ने मुद्दा बनाया और लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी कठघरे में खड़ा कर दिया। जिसका कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

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