रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान फंसे भारतीय छात्रों को स्वदेश लाने के लिए ऑपरेशन आकाश गंगा की कामयाबी के बाद सूडान के गृहयुद्ध में फंसे भारतीयों को बाहर निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी शुरु किया है। सूडान के हालात भी यूक्रेन से कम भयानक नहीं हैं। भारत ने इससे पहले भी अपने नागरिकों को दूसरे देशों से संकट के समय सुरक्षित निकालने के लिए कई आपरेशन चलाए थे। जिनके नाम अगल अलग रखे गए।
- अब भी सूडान में फंसे हैं कई भारतीय
- ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीयों की वापसी
- 2021 से ही जारी हे सूडान में संघर्ष
बता दें सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की माँग कर रहे हैं। इसे लेकर साल 2021 से ही संघर्ष जारी है। मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल आरएसएफ के विलय के बाद शुरु हुआ है। पिछले तीन दिनों संघर्ष में सूडान के अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स आरएसएफ और वहां की सेना आमने सामने आ गई है। सूडान की राजधानी खार्तूम में रणनीतिक लिहाज से अहम लगभग सभी जगहों पर झडप हो रहीं हैं। यहां खार्तूम के अलग-अलग हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित करने का दावा किया जा रहा है। इस संघर्ष में कई नागरिकों की मौत हो चुकी है तो कई घायल हुए हैं। सूडान में करीब तीन हजार भारतीय नागरिक भी फंसे हैं। जिन्हें ऑपरेशन कावेरी के तहत भारत लाया जा रहा है।
ऑपरेशन कावेरी ही क्यों
सूडान में चल रहे संघर्ष के बीच दोनों पक्ष संघर्ष विराम को सहमत हुए हैं। संघर्ष विराम 24 अप्रैल की आधी रात से शुरू हुआ है। जिसमें भारत ने ऑपरेशन कावेरी के तहत वहां से भारत के लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए शुरू किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता की माने तो ऑपरेशन कावेरी के तहत सी-130 की दो फ्लाइट यात्रियों को लेकर सऊदी अरब में जेद्दाहके रास्ते भारत पहुंची। इससे पहले, ये लोग पोर्ट सूडान से जेद्दा के लिए आईएनएस सुमेधा से पहुंचाए गए थे। सूडान में फंसे भारतीयों का पांचवा बैच आईएनएस तेग सूडान से 26 अ्प्रैल को 297 यात्रियों को लेकर पहुंच चुका है। हिंसाग्रस्त सूडान जहां से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन का नाम कावेरी शुरु किया गया। दरअसल सोमवार को युवम कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि सूडान में गृहयुद्ध की वजह से भारत के कई लोग सूडान में फंस गए हैं। उन्हें सुरक्षित लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू किया गया है। बता दें कावेरी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है। तमिलनाडु और कर्नाटक में बहती है। इस नदी नदी के नाम पर ही ये आपरेशन का नाम रखा गया है। क्योंकि नदियां बाधाओं के बावजूद अपने गंतव्य तक पहुंचती हैं। इससे इससे पहले यूक्रेन में फंसे भारतीय को निकालने के लिए भी जो अभियान चलाया था उसका नाम पवित्र नदी ‘गंगा’ के नाम पर रखा गया था।
कब-कब चलाए इस तरह के अभियान
पिछले साल 2022 में ऑपरेशन गंगा चलाया गया था। जिसमें रुस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित लाया गया। इससे पहले ऑपरेशन देवी शक्ति 2021 में चलाया गया। 2021 में ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत भारत ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकाला। 2021 में कोरोना काल के दौरान ऑपरेशन वंदे भारत चलाया गया। वंदे भारत मिशन में उन भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी के लिए की, दुनियाभर में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद विदेश में फंसे थे। ऑपरेशन के जरिए लगभग 60 लाख भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया था। 2020 में भारत सरकार ने ऑपरेशन समुद्र सेतु चलाया और कोरोना महामारी के दौरान विदेश में रह रहे भारतीयों को वापस लाया गया। यह एक नौसैनिक अभियान था। ऑपरेशन समुद्र सेतु के जरिए 3,992 भारतीय नागरिकों को समुद्र के रास्ते देश वापस लाया गया। साल 2015 में ऑपरेशन मैत्री के तहत भारत ने नेपाल भूकंप के बाद वहां मदद पहुंचाई और भारतीयों कसे सुरक्षित लाया गया।
अभियान के तहत जहां 5000 से अधिक भारतीयों को नेपाल से देश लाया गया तो भारतीय सेना ने अमेरिका के साथ ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के भी 170 विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित बाहर निकाला था। ऑपरेशन राहत 2015 में यमन में गृह युद्ध के दौरान चलाया गया। भारत ने शुरू में समुद्र के रास्ते यमन में फंसे 4640 भारतीयों के अलावा 41 से अधिक देशों से 960 विदेशी नागरिकों को बचाया था। ऑपरेशन सेफ होमकमिंग भी 2011 में भारत ने युद्धग्रस्त लीबिया में फंसे अपने नागरिकों को बचाने के लिए शुरु किया था। इसी तरह ऑपरेशन सुकून 2006 में इस्राइल और लेबनान के बीच युद्ध छिड़ने के बाद चलाया। भारत सरकार ने वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन सुकून लॉन्च किया था।