वन नेशन, वन इलेक्शन बिल: क्या संभव हो सकेगा ‘एक देश…एक चुनाव’..मोदी सरकार के सामने है ये चुनौती

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एक देश एक चुनाव विधेयक का मकसद भारत में अगल अगल स्तरों पर होने वाले चुनाव को एक साथ एक समय पर आयोजित करना है। जिससे आर्थिक खर्च कम हो और समय की भी बचत हो सके। इसका अर्थ है कि लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही स्थानीय निकाय चुनावों को भी एक निर्धारित समय सीमा में आयोजित किये जाएं। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य चुनाव के दौरान होने वाले खर्च को कम करना है। इसके साथ ही चुनावों से लोगों को होने वाली असुविधाओं को भी कम करना और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना है​।

लोकसभा में सोमवार को वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पेश किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस विधेयक को पेश करेंगे। यह विधेयक देश में लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं के चुनावों को भी एक साथ, यानी एक ही दिन या एक तय समय सीमा के भीतर आयोजित करने का प्रस्ताव करता है। माना जा रहा है कि संसद में विधयक पेश होने के बाद केन्द्र की मोदी सरकार इसे को केंद्रीय संसदीय समिति यानी JPC के पास भेजेगी।

वन नेशन— वन इलेक्शन का उद्देश्य चुनाव के दौरान होने वाले खर्च में कटौती करना और प्रशासनिक प्रभावशीलता में भी सुधार करना है। पिछले दिनों पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की ओर से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की गई थी। समिति की ओर से ने सुझाव दिया कि पहले चरण में लोकसभा और इसके बाद राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाएं। इसके बाद के दूसरे चरण में स्थानीय निकायों और पंचायत स्तर के चुनावों भी एक साथ कराया जा सकता है।

केन्द्रीय कानून मंत्री करेंगे बिल पेश

केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार 16 दिसंबर 2025 को संसद में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल पेश करने वाले हैं। यह विधेयक संविधान में संशोधन के लिए पेश किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य भारत में सभी चुनाव को एक साथ आयोजित करना है। इसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय चुनावों को एक तय समय सीमा में आयोजित करने का प्रस्ताव है। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की ओर से जो रिपोर्ट पेश की गई है उसके बाद हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी।

सूत्र बताते हैं संसद में विधेयक पेश किये जाने के बाद इस पर मंथन के साथ आम सहमति बनाने के लिए केंद्रीय संसदीय समिति को प्रेषित किया जाएगा। एक देश, एक चुनाव’ का मुख्य उद्देश्य चुनाव में होने वाले खर्चों को कम करना ही नहीं चुनावी प्रक्रिया को स्थिर भी बनाना है। इसकी सिफारिश उच्च-स्तरीय समिति की ओर से की गई थी। इस बिल के संसद से पारित हो जाने के बाद देशभर में अलग अलग होने वाले चुनावों का एक समय समन्वित होगा। जिससे चुनाव की प्रक्रिया के दौरान सरकारों के कामकाज में कोई व्यवधान न उत्पन्न हो। प्रशासनिक संसाधनों का भी बेहतर तरीके से उपयोग हो सके। प्रस्तावित विधेयक के तहत लोकसभा के साथ राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को हर पांच साल में एक साथ कराये जाने की योजना है। हालांकि इसे लागू करने के लिए कई संवैधानिक बदलावों की दरकार होगी।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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