बिहार में जातीय गणना पर क्या है भाजपा का खेल

क्या जरूरी है जातिगत गणना

बिहार में जातिगत गणना को लेकर काफी समय से सियासी विवाद होता रहा है। राज्य में जेडीयू और आरजेडी हर हाल में जातीय गणना कराना चाहते हैं। इसी मंशा से नीतीश सरकार ने गणना शुरु भी करवा दी थी लेकिन पटना हाईकोर्ट की रोक के बाद इनके सपनों पर पानी फिर गया। हालांकि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दावा करते फिर रहे हैं कि किसी भी हाल में जातीय गणना होकर रहेगी। ऐसे में भाजपा पर आरोप लग रहे हैं कि वो नहीं चाहती कि गणना हो। पूरी तरह राजनैतिक इस मामले में पर्दे के पीछे क्या चल रहा है ये जानना जरूरी है।

    जातिगत गणना को लेकर राजनीति
    कानूनी जानकारों से सलाह ले रही सरकार
    भाजपा पर लगा गणना रुकवाने का आरोप
    तेजस्वी का दावा गणना होकर रहेगी
    कोर्ट ने कही महत्वपूर्ण बात

बिहार में जातिगत गणना पर हाईकोर्ट की रोक के बाद सियासी उथल पुथल शुरु हो गई है। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। इस मामले में जेडीयू और आरजेडी लगातार भाजपा पर हमलावर है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जातीय गणना में बाधा डालने के लिए सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बिहार का मामला और इसके खिलाफ गाजियाबाद का व्यक्ति कोर्ट में याचिका लगाता है। जिसका बिहार से कोई लेना देना नहीं है, वो एक नेक काम को लेकर परेशान हो रहा है। ललन ने कहा कि भाजपा ने शुरु से ही इस तरह के कामों में अड़चन पैदा करने की कोशिश की है। सभी को पता है कि भाजपा पर्दे के पीछे बाधा डालने की कोशिश कर रही है फिर भी इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है।

सभी से विचार मंथन के साथ हुआ निर्णय

जातीय गणना बिहार के लोगों के लिए काफी फायदेमंद है। इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम राजनैतिक दलों के साथ विमर्श करके गणना कराने का निर्णय लिया है। ललन सिंह का कहना है कि कुछ लोग इस नेक काम को पचा नहीं पा रहे है। पर्दे के पीछे बैठकर इसका विरोध करते हैं और न्यायालय मेें मुद्दमा दर्ज करवाते हैं। जहां तक कोर्ट के आदेश की बात है तो इस पर कानूनी राय ली जा रही है जो भी उचित होगा उस हम सब काम करेंगे।

क्या जरूरी है जातिगत गणना

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ राजनैतिक मसला है या सही में जनहित के लिए जातीय गणना जरूरी है। इस पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहना है कि पुराने इतिहास को देखें तो जब मंडल कमीशन बिहार में लागू हुआ था तो शीर्षस्थ न्यायालय में एक याचिका लगाई गई थी। उस वक्त संविधान पीठ ने निर्देश दिया था कि धर्म और जाति के आधार पर गणना करवाएं। हम भी जातिगत गणना ही करवा रहे हैं। ये कोई जनगणना नहीं है। लेकिन राजनैतिकों दलों को जातीय गणना और जनगणना में अंतर ही करते नहीं बन रहा है।

जातीय गणना का डेटा लीक न हो

जातीय गणना पर रोक लगाने के लिए पटना हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से गणना पर रोक लगा दी। 4 मई को हुए इस आदेश में कोर्ट ने कहा कि जातीय गणना का कोई भी डेटा लीक नहीं होना चाहिए। इस आदेश के खिलाफ राज्य की नीतीश सरकार ने एक और याचिका लगाई है।

 

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