हे भगवान! ब्लड प्लैटलैट्स चढ़ा दिया मौसमी का जूस
डेंगू पीड़ित ने तोड़ा दम
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां डेंगू पीड़ित एक मरीज को निजी अस्पताल में ब्लड प्लेटलेट्स की जगह मौसमी जूस चढ़ा दिया। जिससे मरीज की मौत हो गई। प्रयागराज में डेंगू के मरीज को कथित तौर पर मौसंबी का रस प्लेटलेट बताकर दिया गया था। हालांकि पुलिस का कहना है कि मौसंबी के रस वाले आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं। इस पूरे मामले में पुलिस ने अब तक 10 लोगों को गिरफ़्तार किया है। लापरवाही की एक सीमा होती है। लेकिन ऐसी लापरवाही भी कैसी कि यही होश नहीं कि मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा है या मौसंबी का जूस, इसे क्या कहेंगे। मामला प्रयागराज के एक अस्पताल का है। जहां डेंगू के मरीज को कथित तौर पर प्लाज्मा की जगह मौसंबी का जूस दे दिया गया। जिससे उसकी मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने पुलिस और स्वास्थ विभाग के अफसरों से इस मामले में शिकायत की तो वहीं सीएमओ ने प्राईवेट अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही अस्पताल भी सील कर दिया गया। इस मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी ट्वीट किया है। आईजी रेंज प्रयागराज डॉ राकेश कुमार सिंह ने भी कार्रवाई करने की बात कही है।
धूमनगंज इलाके का मामला
बता दें प्रयागराज जिले के धूमनगंज थाना क्षेत्र के एक निजी हॉस्पिटल में डेंगू मरीज का इलाज किया जा रहा था। इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया है कि निजी अस्पताल में प्लेटलेट्स के नाम पर उनके मरीज को मौसंबी का जूस चढ़ा दिया था। इसके बाद उनके मरीज प्रदीप पांडेय की हालत बिगड़ गई और उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद मरीज के परिजनों ने निजी अस्पताल पर लापरवाही और प्लेटलेट्स के नाम पर मौसंबी का जूस चढ़ाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि प्रदीप को 17 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद 19 अक्टूबर को उसे गलत प्लेटलेट्स चढ़ा दी गई। जिससे उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने लाकर दिया था प्लेटलेट्स
निजी अस्पताल संचालक का दावा है कि प्लेटलेट्स किसी अन्य चिकित्सा केंद्र से लाए गए थे। तीन यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने के बाद मरीज को दिक्कत होने लगी थी। अस्पताल संचालक सौरभ मिश्रा ने बताया कि प्रदीप पांडेय डेंगू से पीड़ित था और वह उनके अस्पताल में भर्ती हुआ था। उन्होंने कहा कि मरीज का प्लेटलेट्स का स्तर गिरकर 17,000 पर आने के बाद उसके तीमारदारों को प्लेटलेट्स लाने को कहा गया। उन्होंने बताया कि मरीज के तीमारदार स्वरूप रानी नेहरु एसआरएन चिकित्सालय से पांच यूनिट प्लेटलेट्स लेकर आए थे। लेकिन तीन यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने के बाद मरीज को दिक्कत हुई तो चिकित्सकों ने प्लेटलेट्स चढ़ाना बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स की जांच करने की कोई सुविधा उनके अस्पताल में नहीं है। मिश्रा ने कहा कि जो प्लेटलेट्स मरीज को नहीं चढ़ाए गए। उनकी जांच कराई जानी चाहिए कि ये प्लेटलेट्स कहां से लाए गए। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स की बोतल पर एसआरएन का स्टिकर लगा हुआ है।
जांच में जुटी पुलिस
इस पूरे मामले पर आईजी प्रयागराज राकेश सिंह का कहना है कि फर्जी प्लेटलेट्स सप्लाई की जांच की जा रही है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है। मरीज को चढ़ाया गया मौसंबी फल का जूस है या कुछ और इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग भी कर रहा जांच
वहीं सीएमओ डॉक्टर नानक सरन ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए तीन सदस्यों वाली कमेटी बनाई गई है, जो पूरे मामले की जांच कर रही है। इसके बाद ही पता चलेगा की प्लेटलेट के पैकेट में क्या था। जिसको चढ़ाने से मरीज की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। अस्पताल की लापरवाही मानते हुए निजी अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही अस्पताल को सील कर दिया गया है।