ओडिशा के बालासोर में रेल हादसे के बाद अब इसके कारणों की तलाश की जा रही है। ट्रेनों की भिड़ंत से हुए दर्दनाक हादसे में तक 288 यात्रियों की मौत होने के साथ ही करीब 1100 यात्री घायल हुए हैं। केन्द्र सरकार ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के हवाले कर दी है। इसके आदेश होने के साथ ही सीबीआई ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
- सीबीआई की टीम ने लिया घटनास्थल का जायजा
- रेल मंत्री ने जताई थी आशंका
- कहा था—ट्रैक के कन्फिगरेशन में किय परिवर्तन
- कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के ट्रैक के कन्फिगरेशन को बदला था
- सिग्नलिंग को कंट्रोल करता है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम
- अब होगी डबल लॉक की व्यवस्था
भुवनेश्वर डीआरएम रिनतेश रे ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार अब हादसे की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि विस्तृत जानकारी अभी नहीं पता है। जानकारी के अनुसार सीबीआई की जांच टीम से पहले रेल सुरक्षा कमिश्नर शैलेश कुमार पाठक भी घटनास्थल का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के कंट्रोल रूम के साथ सिग्नल रूम और सिग्नल प्वाइंट पर भी सवाल खड़े किये गए थे। बता दें मंगलवार 6 जून को सीबीआई की जांच टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर जायजा लिया। सीबीआई की टीम सबसे पहले बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के कंट्रोल रूम पहुंची। जहां सिग्नल रूम के साथ सिग्नल प्वाइंट का जायजा लिया। बता दें एक दिन पहले रविवार को इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी क्योंकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को ट्रेन के सिस्टम में किसी तरह की छेड़छाड़ किये जाने की आशंका जताई थी। रेल मंत्री ने कहा था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के ट्रैक के कन्फिगरेशन में परिवर्तन किया गया। जिसकी वजह से यह हादसा हुआ। रेल मंत्री ने संदेह जताते हुए कहा था कि किसी ने रेल के कन्फिगरेशन में कुछ परिवर्तन किया है। कन्फिगरेशन से ट्रेन का सभी कुछ नियंत्रित होता है। कन्फिगरेशन में किसी ने उसमें परिवर्तन करते हुए छेड़छाड़ की। जिसकी वजह से हादसा हो गया।
इस तरह काम करता है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम
बता दें रेलवे की इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के जरिए रेलवे की सिग्नलिंग को कंट्रोल किया जाता है। यह सुरक्षा प्रणाली ऐसी है जो यह सुनिश्चित करती है कि रेल की आवाजाही बगैर किसी बाधा के निरंतर होत होती रहे। किसी प्रकार का हादसा न हो। इसके साथ ही इंटरलॉकिंग सिस्टम में मुख्य तौर पर तीन भाग होते हैं। पहले में पॉइंट्स दूसरे में ट्रैक ऑक्यूपेंसी सेंसिंग डिवाइसेज के साथ तीसरे में सिग्नल शामिल है। इंटरलॉकिंग सिस्टम इन तीन कंपोनेंट्स में तालमेल बैठाते हुए रेल के मूवमेंट को नियंत्रित रखता है। बता दें पहले जब इस तरह की नई तकनीक नहीं थी, तब इंटरलॉकिंग सिस्टम को स्वयं रेलवे के कर्मचारी मैनुअली ऑपरेट करते थे। पॉइंट्स मैन स्वयं मौजूद रहकर पॉइंट को बदलता था। इसके बाद भौतिक रुप से रेल को हरी बत्ती दिखाई जाती थी। मौजूदा दौर में देश भर में करीब सात हजार रेलवे स्टेशनों में से करीब सौ रेलवे स्टेशन ही ऐसे बचे हैं जहां मैनुअली इंटरलॉकिंग सिस्टम ऑपरेट किया जा रहा है।
डबल लॉक की व्यवस्था के निर्देश
बालासोर रेल हादसे के बाद रेलवे सतर्क हो गया है। उसने नया सर्कुलर जारी किया है। रेलवे की ओर से जोनल मुख्यालय को यह तय करने के निर्देश दिये हैं कि स्टेशन रिले रूम के साथ कंपाउंड हाउसिंग सिग्नलिंग इक्विपमेंट में डबल लॉक की व्यवस्था की जाए। दरअसल इस ट्रिपल ट्रेन हादसे की शुरुआती जांच में दुर्घटना की वजह सिग्नलिंग डिस्टरबेंस का मामला सामने आया था। रेलवे ने यह भी निर्देश दिया कि स्टेशन सीमा में सभी गुमटी हाउसिंग सिग्नलिंग उपकरण पर विशेष ध्यान दें। इसके साथ ही एक सुरक्षा अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए, जिससे खामियां हो तो समय से पहले सुधार किया जा सके। वहीं रेलवे की ओर से सभी जोन के जनरल मैनेजर को पत्र लिखा है। जिसमें लिखा हे कि स्टेशनों के सभी रिले रूम की समम जांच की कराई जाए। इतना ही नहीं डबल लॉकिंग अरेंजमेंट के भी सही तरीके से काम करने को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। रिले रूम के दरवाजा खोलने और बंद करने के लिए डेटा लॉगिंग और एसएमएस अलर्ट सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं इसकी भी जांच की जाए। निर्देश दिये गये हैं कि सिग्नलिंग के साथ टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट के लिए डिस्कनेक्शन , रीकनेक्शन के इंतजाम को मानदंड के साथ दिशानिर्देश का सख्ती से पालन किया जा रहा है या नहीं यह भी सुनिश्चित किया जाए।