दिल्ली के चुनाव के लिए अब मतदान की बारी आ चुकी है। 70 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी लगातार जीत की कोशिश में है। ऐसे में कोई भी राजनैतिक दल की ओर हर एक सीट कड़ी मेहनत की गई। अगर बात करें खास और उन सीटों की जिनसे चुनावी नतीजे बदल सकते हैं तो ऐसे में तकरीबन 15 सीटें ऐसी हैं जो दिल्ली के चुनावी नतीजों पर असर डालती हैं।
जंगपुरा सीट
जंगपुरा सीट इसलिए खास हो जाती है क्योंकि इस सीट पर शराब घोटाले मे जेल गए मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं। सिसोदिया के चुनाव लड़ने के चलते ये सीट महत्तवपूर्ण हो गई है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने पुराने चेहरे का टिकट काटकर सिसोदिया को मैदान में उतारा है वही इस सीट पर बीजेपी ने तनविरंद सिंह मारवाह को मैदान में उतारा है।
ओखला – इस सीट पर मुख्य तौर पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। इसमें आप ने हाल ही में जमानत पर रिहा हुए अमानतुल्लाह खान को मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने अपने ही पार्षद की बेटी अरिबा खान को मैदान में उतारा है। वही एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगो के आरोपी शिफा उर रहमान खआन को मैदान में उतारा है।
पटपड़गंज
सीट 2013 से ही लगातार आम आदमी पार्टी के कब्जे में रही है और पहली बार यहा से उम्मीदवार बदला गया है। , लेकिन इस चुनाव में पहली बार पार्टी को यहां से अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा। पटपड़गंज सीट इसलिए भी खास है क्योंकि ये सीट हाल में मनीष सिसोदिया ने छोड़ी है। मनीष सिसोदिया पहले ही इस सीट से बड़ी मुश्किल से चुनाव जीते थे।
इस बार ‘आप’ ने इस बार अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है, जो छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। अवध ओझा पूर्वांचल से ताल्लुक रखने और सोशल मीडिया पर काफी फॉलोअर्स भी हैं। वही बीजेपी ने अवध ओझा को टक्कर देने के लिए रवि नेगी को फिर से मैदान में उतारा है।
मुस्तफाबाद
इस विधानसभा में मुस्लिम वोटर्स की संख्या बहुत ज्यादा है । आंकड़ो पर भरोसा करें तो ये संख्या 42 पर्सेंट के करीब है। इसी वोट के दम पर यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बारी बारी से जितती रही हैं। इस बार इस सीट पर 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, इनमें से छह प्रत्याशी मुस्लिम है । दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी AIMIM के ताहिर हुसैन को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है, वहीं आप ने आदिल अहमद खान और कांग्रेस ने पूर्व अली मेंहदी को मैदान में उतारा है।
बाबरपुर
इस विधानसभा में भी मुस्लिम वोटर्स 42 पर्सेंट के करीब है। अब तक हुए सात विधानसभा चुनावों में चार बार यह सीट बीजेपी के पास रही। आम आदमी पार्टी ने मंत्री गोपाल राय को इस सीट पर मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने मोहम्मद इशराक अहमद को मैदान में उतारा है। इशराक पहले आप पार्टी से सीलमपुर से विधायक रहे हैं। जबकि बीजेपी ने अनिल वशिष्ठ को मैदान में उतारा है। गोपाल राय के चलते ये सीट आप के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
करावल नगर
अधिकांश अनाधिकृत कॉलोनियों वाली इस सीट पर चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि इस सीट पर बीजेपी ने एक बार को छोड़कर हर बार जीत हासिल की है।
यहां से बीजेपी ने इस बार कपिल मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। वैसे मिश्रा यहीं से आप के टिकट पर 2013 में बिष्ट को हरा चुके हैं। आप ने यहां से मनोज त्यागी और कांग्रेस ने डॉ. पी.के. मिश्रा को टिकट दिया है।
नई दिल्ली विधानसभा सीट
सत्तर सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से मैदान में उतरे हैं। जहां से बीजेपी के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित की ओर से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
वैसे तो इस सीट पर 23 प्रत्याशी हैं लेकिन चुनावी मुकाबला इन तीनों के बीच ही नजर आ रहा है। बीजेपी और कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव में जबरदस्त प्रचार किया, जिसकी वजह से मामला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। ऐसे में सियासी रणनीतिकार मान रहे हैं कि दिल्ली के दंगल में केजरीवाल इस बार बुरी तरह से घिर चुके हैं। चुनाव में उनका जीतना अब पिछली बार की तरह आसान नहीं है।
कस्तूरबा नगर
यहां पर पहले तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन बीजेपी पिछले चार चुनाव से हार रही है। वहीं तीन बार से लगातार जीत दर्ज कर रही आम आदमी पार्टी चौथी जीत की उम्मीद लगाए हुए है। यहां मुकाबला इसलिए दिलचस्प है। पिछली बार आप के टिकट पर मदनलाल ने चुनाव जीता था, लेकिन इस बार टिकट कटने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वहीं 2008 में कांग्रेस की ओर से जीत दर्ज करने वाले नीरज बसोया इस बार पाला बदलकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने रमेश पहलवान को प्रत्याशी बनाया है। वहीं अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की ओर से अभिषेक दत्त उम्मीदवार के रुप में चुनौती दे रहे हैं।
कालकाजी सीट
परिणाम- 2020,कुल मत प्रतिशत- 57.51
परिणाम- 2015 कुल मत प्रतिशत- 64.85
परिणाम- 2013 कुल मत प्रतिशत- 63.11
कालकाजी विधानसभा सीट से पिछली बार आतिशी ने जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार वे बतौर मुख्यमंत्री यहां से चुनाव लड़ रहीं हैं। जिसकी वजह से पूरी दिल्ली की निगाहें कालकाजी सीट पर हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल ने आतिशी को घेरने के इरादे से अपने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने आतिशी को घेरने के लिए पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस की ओर से रणनीतिक तौर पर अपनी तेज तर्रार महिला नेता अलका लांबा चुनावी मैदान में उतरी हैं। अलका लांबा इससे पहले एक बार आम आदमी पार्टी के ही टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन बाद में अलका कांग्रेस में लौट आयीं। कांग्रेस को लग रहा है कि अलका लांबा की ओर से यदि महिलाओं वोटर्स के बीच अपनी पैठ बना ली तो आतिशी को अपने महिला उम्मीदवार होने का भी शायद उतना फायदा न मिले।
चांदनी चौक
विधानसभा चुनाव 1993 के बाद चांदनी चौक सीट लंबे अर्से से बीजेपी के खाते में नहीं आ सकी है। यहां सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का श्रेय प्रहलाद साहनी को जाता है। साल 1998 से लेकर साल 2013 तक कांग्रेस में रहे प्रहलाद साहनी का ही नाम इस सीट पर रहा। 2020 में आम आदमी पार्टी की ओर अलका लांबा को टिकट काट कर इन्हें टिकट थमाया गया और फिर एक बार प्रहलाद साहनी चुनाव में जीत गए। इस सीट से 5 मर्तबा चुनाव जीतने वाले प्रहलाद साहनी के बेटे पुनरदीप सिंह साहनी को इस बार आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया है। जयप्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को कांग्रेस की ओर से प्रहलाद साहनी के बेटे को टक्कर देने के लिए मैदान में उतारा गया है। दो दिग्गत नेताओं के बेटे चांदनी चौक सीट से मैदान में हैं। लिहाजा मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। वहीं बीजेपी की ओर से यहां से कारोबारी सतीश जैन को टिकट दिया है।
बल्लीमारान
बल्लीमारान सीट पर कुल मतदाता करीब 50 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इस इलाके में मुकाबला अलग-अलग दलों में दिल्ली सरकर के मंत्री रहे दो दिग्गजों के मध्य है। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हारुन युसूफ का मुकाबला आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री इमरान हुसैन से है। दोनों ही अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं। इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या भी कुल मतदाताओं की करीब आधी है। लिहाजा कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। बीजेपी की ओर से रामनगर वार्ड से पार्षद रहे कमल बागड़ी को टिकट दिया है।
मटिया महल
मटिया महल सीट को काफी हॉट माना जा रहा है। इस सीट से आम आदमी पार्टी की पहली सरकार में मंत्री रहने वाले आसिम अहमद खान कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे हैं। इस सीट से अबतक सबसे अधिक बार चुनाव में जीत दर्ज करने वाले शोएब इकबाल के बेटे और एमसीडी में डिप्टी मेयर रहने वाले आले मोहम्मद के बीच सीधी टक्कर है। मटियामहल सीट मुस्लिम बहुल है। दोनों एक ही प्रत्याशी इसी समुदाय के हैं। ऐसे में दोनों दल के बीच टक्कर दिलचस्प होने वाली है। बीजेपी की ओर से यहां से दीप्ति इंदौरा को टिकट दिया गया है।
रोहिणी
दिल्ली की रोहणी विधानसभा सीट पर विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता की उम्मीदवारी की वजह से यह सीट अहम मानी जा रही है। हालांकि इसी सीट से विजेन्द्र गुप्ता लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। साल 2015 में जब आम आदमी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए 67 विधानसभा सीटें जीती थीं, उस समय भी रोहिणी ही दिल्ली की उन तीन सीटों में शुमार थी, जिन्हें बीजेपी बचाने में सफल रही थी। वैश्य समुदाय के मतदाताओं की तादाद को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने यहां से पार्षद प्रदीप मित्तल को उम्मीदवार बना कर मेैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस की ओर से सुमेश गुप्ता उम्मीदवार है।
बादली सीट
बादली विधानसभा सीट कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव की होम ग्राउंड सीट है। बादली सीट पर कांग्रेस की इसलिए भी नजर बनी हुई है। क्योंकि पिछली बार के चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर देवेन्द्र यादव ने करीब 20 फीसदी वोट हासिल किए थे। उस समय देवेन्द्र यादव दिल्ली में कांग्रेस के उन दो तीन प्रत्याशियों में शामिल थे, जो अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे। यही कारण हैं कि इस बार भी कांग्रेस इस सीट से काफी उम्मीद लगाए हुए है।
देवेन्द्र का मुकाबला यहां आम आदमी पार्टी के अजेश यादव से हैं। यहां भी जातीय समीकरण का प्रभाव चुनाव में सबसे अधिक है। लिहाजा यादव समाज को लेकर ही सियासी दलों ने अपनी अपनी रणनीति तैयार की है। वहीं बीजेपी की ओर से दीपक चौधरी प्रत्याशी बनाकर उनपर अपना दांव लगाया है।
नरेला सीट पर कांटे की टक्कर
दिल्ली की नरेला सीट पर कांटे का मुकाबले है। नरेला विधानसभा सीट पर दो बार के विधायक रहने वाले शरद चौहान टिकट पहले काटा फिर पार्टी ने एक बार फिर से नामांकन के दो दिन पहले उन्हें फिर टिकट दे कर यह संदेश देने का प्रयास किया किनरेला में शरद की छवि बहुत खास है। पहीं बीजेपी की ओर से राजकरण खत्री को टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी से पहले टिकट देकर बाद में वापस लेने पर नाराज पूर्व कबड्डी खिलाड़ी और बांकानेर वार्ड से पार्षद दिनेश भारद्वाज शरद चौहान की पदयात्रा और चुनावी जनसभाओं से दूर नजर आ रहे थे।
प्रकाश कुमार पांडेय