दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी आमने सामने हैं। जहां आप के नेता केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साध रहे हैं वहीं भाजपा भी लगातार पलटवार कर रही है। आरोप प्रत्यारोप के बीच भाजपा ने सफाई देते हुए दावा किया है कि केंद्र सरकार का अध्यादेश अफसरों को बदसलूकी से बचाएगा।
क्या था मामला
दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होना चाहिए। इस आदेश को पलटते हुए केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई जिसके जरिए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकर उप राज्यपाल के पास आ गया। इससे आम आदमी पार्टी भड़क गई और भाजपा पर हमलावर हो गई। जिस पर भाजपा भी लगातार पलटवार कर रही है।
बदसलूकी के कारण आया अध्यादेश
पूर्व कानून मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिल्ली कोई सामान्य शहर नहीं है। बल्कि देश की राजधानी है। पर,यहां अफसरों के साथ आए दिन बदसलूकी होती है जिसके कारण भारत सरकार को एक ऑर्डिनेंस यानी अध्यादेश लेकर आना पड़ा है। प्रसाद ने कहा कि केजरीवाल सरकार का रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है। इसको लेकर हमें बहुत ही शिकायतें मिली हैं। केजरीवाल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखते हुए ही हमें ये फैसला जनहित को ध्यान में रखते हुए लेना पड़ा।
प्रसाद ने बताए अध्यादेश के मायने
पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अध्यादेश के मायने भी समझाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में दिल्ली सरकार में शामिल अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की जिम्मेदारी एक बॉडी के पास होगी। जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल होंगे और मुख्य सचिव तथा गृह सचिव इसमें सदस्य के तौर पर शामिल रहेंगे। अफसरों के पोस्टिंग और ट्रांसफर को लेकर ये तीनों लोग फैसला करेंगे। मगर उप राज्यपाल इनके निर्णय पर बहुमत के आधार पर अपना अंतिम फैसला करेंगे। इस अध्यादेश के जरिए दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग से संबधित फैसले पूरी पारदर्शिता के साथ एक जवाबदेही प्रक्रिया से हो पाएंगे।