बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के लिए हर रोज चुनौतियां खड़ी कर रहे है। वे विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हैं और सियासी अखाड़े में नए नए दांव आजमा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए ऐसे मुद्दे उठाए जो चर्चा का विषय बन गए। सबसे पहले उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इतिहास बदलने का आरोप लगा दिया।
जरूरत क्या थी नई संसद बनाने की
नीतीश कुमार ने कहा कि सही मायने में देखा जाए तो नई संसद भवन बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। केवल इतिहास बदलने के लिए ये सब किया जा रहा है। यदि सही जरूरत थी तो पुरानी संसद को ही विकसित करके जरूरत को पूरा किया जा सकता था। नीतीश ने कहा कि इस देश में केंद्र सरकार केवल और केवल इतिहास बदलने का काम कर रही है।
नीति आयोग की बैठक से दूरी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू ने भी नए संसद भवन के लोकार्पण पीएम द्वारा कराने जाने का विरोध किया है। जेडीयू ने समारोह में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी। ऐसे करीब दो दर्जन दल है जो समारोह का बहिष्कार कर रहे है। आज चूंकि नीति आयोग की बैठक थी जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों को शामिल होना होता है। नीतीश ने बैठक में शामिल न होकर एक संदेश देने की कोशिश की है कि वे समारोह में नहीं जाएंगे। बताया तो यहां तक जा रहा है कि नीतीश आयोग की बैठक से दूरी भी इसी कारण बनाई है। हालांकि उनका कहना है कि पटना कार्यक्रम आयोजित था जिसके कारण उनका दिल्ली जाना संभव नहीं हो पाया।
बैठक में ये मांग रखते नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र क्या कर रहा है, यह देख ही रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा कि पटना में कार्यक्रम की वजह से वह बैठक में नहीं जा सके। अगर जाते तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग करते।