पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के महत्वपूर्ण राज्य असम और अरुणाचल का दौरा किया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू असम के दो दिनी दौरे पर रहीं। अब पीएम नरेन्द्र मोदी असम जा रहे हैं। इससे पहले गृहमंत्री के पूर्वोत्तर दौर पर बीजिंग की ओर एतराज जताया गया, बीजिंग ने गीदड़ भभकी दी और चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा जंगनान चीन के क्षेत्र का हिस्सा है। बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा जंगनान में वरिष्ठ भारतीय अधिकारी की गतिविधि चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल नहीं है। बता दें अरुणाचल प्रदेश के इस हिस्से को चीन अपना बताते हुए जंगनान के नाम से नाम पुकारता है। जिस पर भारत के गृहमंत्री की ओर से बीजिंग को मुंहतोड़ जवाब दिया गया।
- दूर होगी पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा की कमी
- गुवाहाटी को दी एम्स की सौगात
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक वरदान होगा एम्स
- 14 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं
- पीएम मोदी की नार्थ ईस्ट की 25 सीटों पर नजर
दरअसल केंद्र की सियासत में भले ही हिंदी भाषी और ज्यादा सीटों वाली राज्यों का महत्व रहा हो लेकिन 2024 के आम चुनाव में पूर्वोत्तर के नतीजे को भी नहीं नकारा जा सकता। क्योंकि साल 2014 और उसके बाद से नॉर्थ ईस्ट यानी पूर्वोत्तर के राज्यों पर भी सभी सियासी दलों ने विशेष फोकस करना शुरू कर दिया है। खासकर बीजेपी की रणनीति पूर्वोत्तर में सबसे अलग रही है। दरअसल पूर्वोत्तर के सात राज्य लोकसभा चुनाव के लिहाज से खासे अहम हैं।
असम की 14 में 10 सीट बीजेपी के पास
पूर्वोत्तर में लोकसभा की 25 सीटें हैं। ये 25 सीटें किसी पार्टी को एकमुश्त मिल जाएं तो यह बड़ा गमचेंजर भी हो सकती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में लोकसभा की सबसे अधिक 14 सीटें असम में हैं। वहीं अरुणाचल प्रदेश में 2, मणिपुर-2, मेघालय-2, मिज़ोरम-1, नागालैंड-1, सिक्किम-1, और त्रिपुरा-2 हैं। इन सभी राज्यों में सबसे ज्यादा अहमियत असम की है। क्योंकि कुल 14 लोकसभा सीटें हैं। 2019 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने असम की 14 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। कभी पूर्वोत्तर बीजेपी के लिए एक अछूता क्षेत्र था। लेकिन उसे
अपना 350 सीटों का लक्ष्य हासिल करना है तो उसे पूर्वोत्तर को साधना होगा।
2019 के चुनाव में एनडीए को मिली थी 18 सीटें
बता दें जब अमित शाह ने बीजेपी प्रमुख का पद संभाला था। तब भी उन्होंने पूर्वोत्तर के महत्व पर जोर दिया था और साल 2019 के लोकसभा चुनावों ने दिखाया कि योजनाएँ राज्य की राजनीति की गतिशीलता से परे काम कर रही थीं। बीजेपी और उसके सहयोग दलों ने इस क्षेत्र में जीत हासिल की। बीजेपी ने पूर्वोत्तर की 25 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की और उसके सहयोगियों ने चार। यानी एनडीए के 18 सीट हो गई। राज्य के चुनावों के चुनाव परिणामों के बाद यह क्षेत्र फिर से 2024 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने सकता है।यही वजह है कि बीजेपी का पूर्वोत्तर पर विशेष फोकस है।