नईदिल्ली। कभी भाजपा का गुणगान करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों भाजपा को पटकनी देने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरे हैं। इसके लिए उन्होंने विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें भी तेज कर दीं हैं। नीतीश को लगता है कि यदि राजनीति के अखाड़े में रहना है तो भाजपा के खिलाफ संघर्ष करना ही होगा। इसके लिए नीतीश ने मंगलवार को ही दिल्ली में डेरा डाल दिया है। आज बुधवार को दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हो सकती है।
- विपक्ष को एकजुट करना बड़ी चुनौती
- कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे से होगी नीतीश की मुलाकात
- अन्य दलों को भी साधेंगे नीतीश कुमार
- तीन दिन तक दिल्ली में रहेंगे जेडीयू प्रमुख
- अलग अलग दल के नेताओं से करेंगे चर्चा
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की दिल्ली में उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से होना है। सूत्रों की माने तो खड़गे और नीतीश की मुलाकात के अलावा कांग्रेस के कई दिग्गजों के साथ लंबी चर्चा होगी। तीन दिन तक नीतीश के दिल्ली में रहने की संभावना है। जिसमें भाजपा के खिलाफ रणनीति और विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने का प्रमुख एजेंडा हैं। तीन दिन तक दिल्ली में रहकर जेडीयू प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई दलों के नेताओं का भरोसा जीतने की कोशिश करेंगे।
नीतीश के लिए आसान नहीं ये राह
हालांकि इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि विपक्ष की एकजुटता को लेकर जो अब तक चुनौतियां रहीं हैं उससे निपटने के लिए नीतीश कुमार के पास कोई पुख्ता रणनीति नहीं है। जिस तरह की जानकारी आ रही है उसके मुताबिक यही कहा जा रहा है कि भले ही नीतीश विपक्षी दलों को जोड़ने के लिए एक सेतू की भूमिका में है लेकिन कामयाबी आसान नहीं है।
भरोसेमंद नहीं है नीतीश की सियासत
आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाई थी। नीतीश को कहीं कोई दिक्कत न हो इसके लिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ और दिग्गज नेता सुशील मोदी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रखा था और उन्हे समझाबुझाकर उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया था। ये वही नीतीश है जिन्होंने कभी लालू यादव के साथ दोस्ती की तो कभी भाजपा के साथ दोस्ती निभाने के प्रयास किए,लेकिन लंबे समय तक नहीं चल पाए। ऐसे में सवाल उठता है कि जब इन दलों से नीतीश की दोस्ती नहीं निभी तो कई विपक्षी दलों के बीच नीतीश कैसे समन्वय स्थापित कर पाएंगे।