पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खासमखास राममंद्र प्रसाद सिंह आज भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। पहले उम्मीद की जा रही थी कि आरसीपी सिंह को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल कराएंगे। इससे यह भी माना जा रहा है कि एंट्री थोड़ी कमजोर रही है।
आपको बता दें कि आरसीपी सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत नजदीकी माने जाते थे। और वे जेडीयू के लिए बड़ी ताकत थे। लेकिन कुछ समय से वे नाराज चल रहे थे जिसकी वजह से उन्होंने पिछले साल इस्तीफा दे दिया था। फिर कयास शुरु हो गए थे कि वे आने वाले समय में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। आज यह कयास सही साबित हो गए।
जेडीयू के वोट बैंक पर पड़ेगा असर
भाजपा ने आरसीपी सिंह को अपने साथ लेकर जेडीयू के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि सिंह कुर्मी समाज के है और उनकी जमीनी स्तर पर पकड़ भी काफी अच्छी है। आरसीपी सिंह जब अधिकारी थे तभी उनकी नीतीश कुमार से गहरी दोस्ती हो गई थी। इसके बाद आइएएस की नौकरी के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और नीतीश के कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे थे।
इसलिए बढ़ी भी दूरियां
बताया जाता है कि एक समय था जब जेडीयू एनडीए के साथ थी और केंद्रीय मंत्री बनाने के लिए जेडीयू से एक व्यक्ति का नाम मांगा गया था। तभी आरसीपी सिंह ने बगैर नीतीश को बताए अपना नाम भेज दिया। इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 में आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनाया गया। ये बात नीतीश कुमार को ठीक नहीं लगी और दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। साथ ही भाजपा से दोस्ती के आरोप भी लगने लगे।धीरे-धीरे पार्टी ने उन्हें साइडलाइन करना शुरू कर दिया। आरसीपी के करीबियों को भी पार्टी से निकाला जाने लगा।
जेडीयू ने काट दिया था टिकट
बीते साल आरसीपी सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा था और उन्हे दूसरी बार केंद्र में मंत्री बनाया जातना था,लेकिन जेडीयू ने उनका टिकट काट दिया और पार्टी ने खीरो महतो को राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद मजबूरन आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद आरसीपी सिंह के पास न तो मंत्री पद रहा और न ही जेडीयू में कोई जिम्मेदारी मिली। ऐसे में वे अपने आपको उपेक्षित महसूस करने को मजबूर हो गए। इसके साथ ही जेडीयू ने उन पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा दिए इसके बाद उन्होंने नाराज होकर जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।