1990 के दशक में पूरा बिहार आनंद मोहन सिंह के नाम पर थर्राता था। बड़े बड़े नेताओं की जुबान पर आनंद छाए हुए थे। रुतबा इतना कि बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव के लिए भी चुनौती बन गए। यहां तक की राज्य से जुड़े अहम फैसलों में भी आनंद मोहन सिंह का दखल होने लगा। कुछ इसी तरह की संभावनाएं एक बार फिर बनती दिख रहीं है।
. आनंद को जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ
. हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद
. पैरोल पर बाहर घूमते दिख रहे बाहूबली नेता आनंद
. आगामी चुनाव में जेडीयू से साथ निभा सकते है बड़ी भूमिका
. आइएएस की हत्या का है मामला
ये वो आनंद मोहन है जिन्हे एक आइएएस की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई और फिर उम्र कैद में बदल दी गई। फिलहाल आनंद पैरोल पर हैं और नीतीश सरकार ने उन्हे जेल से निकालने के लिए रास्ता साफ कर दिया है। वैसे तो कई अपराधों में आनंद मोहन सिंह बरी कर दिए गए लेकिन 5 दिसंबर 1994 की एक घटना ने पूरे देश को चौंका दिया। इसी दिन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जी कृष्णैया गोपालगंज में डीएम थे। भीड़ ने उन्हे घेरा और पीटना शुरु कर दिया। पलक झपकते ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोप लगा कि आनंद मोहन सिंह ने भीड़ को उकसाया था। इस मामले में उन्हे पटना होई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। बाद में सजा उम्र कैद में बदल गई। 28 जनवरी 1954 को सहरसा जिले के पचगछिया गांव में जन्मे आनंद महषी विधानसभा सीट से विधायक बनने के बाद उन्होंने अपनी धाक जमा ली थी। अब उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और पेरोल पर बाहर घूम रहे हैं।
जेल से बाहर निकालने के लिए नीतीश ने बदला नियम
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए है। उनका मुख्य मुकाबला भाजपा से है। ऐसे में उन्हे बड़े बड़े दिग्गज नेताओं की जरूरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संभवत: इसी कड़ी में आनंद मोहन सिंह को जेल से बाहर निकालने के लिए जेल की नियमावली में संशोधन कर दिया गया। 10 अप्रैल को हुए संशोधन में नियमावली से उस खंड को हटा दिया गया है,जो शासकीय अफसर के मर्डर के केस में जेल काट रहे दोषी को अच्छे व्यवहार के बाद भी रिहाई से रोकता था। बिहार के गृह विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए में संशोधन की जानकारी दी है।
जेडीयू की आनंद के साथ घुली मिठास
पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ होने के बाद जेडीयू की आनंद के साथ सियासी मिठास घुलने लगी है। हाल ही में आनंद ने अपने बेटे की शादी का न्यौता जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को दिया है। ललन ने भी मिठाई खिलाकर उन्हे अपने गले से लगा लिया। इसकी जानकारी आनंद के बेटे ने सोशल मीडिया पर दी।
अब आगे क्या होगा
दोनों की मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति में हलचल पैदा हो गई। सियासी समीकरणों पर चर्चा करने वाले कहने लगे कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जेडीयू इसका पूरा फायदा लेने का प्रयास करेगी। हो सकता है कि जेडीयू आनंद सिंह को चुनावी मैदान में उतारकर एक नया समीकरण बनाने का प्रयास करेे।