एकादशी एक ऐसा त्योंहार है,जिसका हिंदु धर्म में खास महत्व है. वैसे तो एकादशी सालभर में 24 बार आती है , लेकिन ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली एकादशी का खास महत्व रहता है. ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है.इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 30 मई को पड़ रहा है.यह व्रत हिंदु धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस दिन उपवास रखने वाला व्यक्ति को पानी पीना भी वर्जित होता है. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने वाले व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
निर्जला एकादशी की तिथि
हिंदु पंचाग के अनुसार इस बार निर्जला एकादशी की तिथि 30 मई को पड़ रही है.एकादशी की शुरुआत 30 मई के दिन दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से होगी. वहीं, इसका समापन 31 मई को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा. 31 मई को तिथि का समापन होने के कारण इस दिन भी व्रत रखा जाएगा.
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनके पसंदीदा पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं. श्री हरि से इस दिन आशीर्वाद के साथ साथ अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना भी मांगी जाती है.शाम के समय एक और बार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. शाम की पूजा में सभी लोग भगवान के भजन गाते है, उन्हें भोग लगाते है और प्रसाद वितरित करते है. अगले सुबह स्नान के पश्चात व्रत तोड़ने पर आपके व्रत की समाप्ति होती है.
एकदशी के दिन न करें ये काम
1. वाद- विवाद
निर्जला एकादशी के दिन वाद- विवाद से बचे. साथ ही मांस – मदिरा से भी दूरी बनाएं रखे.
2.चावल खाने से करें परहेज
एकादशी के दिन चावल खाने से भी बचना चाहिए. साथ ही बैंगन, शलगम और गाजर से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए. इस दिन इन सब्जियों को खाना वर्जित है.
3. झाडू न लगाएं
एकादशी के दिन झाडू नहीं लगाना चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार झाडू लगाने से कीट पंतगे मर सकते है. इसलिए इस दिन झाडू लगाने की मनाही होती हैं.
4. तुलसी के पत्ते न तोड़े
एकादशी के व्रत के दिन तुलसी के पत्ते भी नहीं तोड़ना चाहिए, अगर आपको पूजा के लिए पत्तों की जरूरत है तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़ लेंं.