Nilanchal Express Accident: कहते हैं मौत का कोई भरोसा नहीं होता। कहीं भी कभी भी आ सकती है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की। जहां नीलांचल एक्सप्रेस में एक बेहद चौंकाने वाला हादसा सामने आया है। यहां पटरी पर पड़ा एक सब्बल ट्रेन की खिड़की तोड़कर यात्री की गर्दन में जा घुसा। सब्बल यात्री यात्री का सिर फाड़ते हुए निकल गया। इस हादसे का शिकार हरिकेश दुबे की मौके पर ही मौत हो गई। बता दें घटना के वक्त ट्रेन की गति 110 किमी प्रति घंटा बताई जा रही है। घटना डाबर – सोमना स्टेशन के बीच की है।
दरअसल लखनऊ ट्रेक पर शुक्रवार सुबह लगभग 110 किमी की रफ्तार से दौड़ रही नीलांचल एक्सप्रेस दौड़ रही थी। इसी ट्रेन के एक कोच में सफर कर रहे हरिकेश की मौत भी उसी गति से आई। मौत ने सब्बल का सहारा लिया और हरिकेश चिरनिद्रा में सो गए। एक सब्बल का टुकड़ा जो पटरी पर पड़ा था। शायद काम करने के बाद गैंगमेन से छूट गया होगा। जो भाले की तरह उछला और खिड़की तोड़कर यात्री की गर्दन के आर-पार हो गया। देखते देखते ही यात्री हरिशंकर की मौत हो गई। परिजन अब रेलवे कर्मचारियों पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पूरा मामला शुक्रवार की सुबह का है। दिल्ली से लखनऊ के लिए नीलांचल एक्सप्रेस रवाना हुई। ट्रेन की जनरल बोगी में हरिकेश दुबे पिता संतराम सवार थे। वे थाना चांदा जिला सुल्तानपुर के रहने वाले थे। सुबह करीब पौने नौ बजे डाबर स्टेशन से ट्रेन निकलने के दौरान खिड़की तोड़ते हुए गोली की रफ्तार से सब्बल हरिकेश की गर्दन में घुस गया।
क्षणभर में हादसा
हादसा होते ही डिब्बे में बैठे यात्रियों में अफरा तफरी मच गई। क्षणभर में हुए हादसे से सभी हतप्रभ थ। किसी की समझ नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे हुआ। इसके बाद किसी यात्रियों ने चैन खींची तब ट्रेन रुकी और मौके पर जीआरपी स्कॉट पहुंची। कंट्रोल को सूचना देने के बाद ट्रेन को अलीगढ़ लाया गया। आरपीएफ जीआरपी और अधिकारियों ने गाड़ी के जनरल कोच को अटेंड किया तो देखा कि कोच के दूसरे केबिन में सीट पर बैठे यात्री के बाएं तरफ से एक लोहे सब्बल घुसकर दाहिने तरफ कान के नीचे से निकलकर पार करते हुए प्रथम केबिन की तरफ निकल गया था। जीआरपी अलीगढ़ द्वारा मौके की कार्रवाई कर शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई प्रारंभ की गई।
नींद ने बचा ली दूसरे युवक की जान
मौत शायद हरिशंकर के लिए ही आई थी। तभी तो जनरल बोगी में जहां हादसा हुआ उसके दूसरी ओर बैठा युवक बच गया जबकि सब्बल सीट से आरपार होकर उस तक भी पहुंचा था लेकिन नींच आने के चलते युवक गरदन नीचे घुटनी पर रखकर सो रहा था, और मौत उसके नजदीक से गुजर गई। अगर वह युवक बैठा होता तो उसके गर्दन में सब्बल घुस सकता था। घटना के बाद युवक बदहवास सा नजर आया। बोगी में मौजूद अन्य यात्रियों ने उसे संभाला।
पटरी पर मजदूर छोड़कर गए थे सब्बल
लोहे का सब्बल ट्रेन की खिड़की तोड़कर यात्री की गर्दन में कैसे घुसा, रेलवे इसकी जांच कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि पटरी पर काम कर रहे मजदूर सब्बल छोड़कर चले गए होंगे। दरअसल सब्बल पटरी पर पड़ने वाले पत्थर और सीमेंटड स्लैब को हटाने के काम में आता है। सब्बल करीब पांच किलो तक वजन होता है। जिसका एक भाग नुकीला होती है।
रेलवे के नियमानुसार दी जाएगी परिवार को मदद
वहीं एनसीआर के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय का कहना है मामले की जीआरपी और आरपीएफ संयुक्त जांच कर रही है। परिजनों से चर्चा हुई है। परिजनों को रेलवे नियमों के अधीन मदद की जाएगी। सब्बल कैसे खिड़की से घुसाए पटरी के पास कहां से आया। इन सभी तथ्यों की जांच कराई जा रही है।