‘चूहे’ होते तो छोटे जीव है, लेकिन परेशानियां हमारे लिए बड़ी-बड़ी खड़ी कर देते हैं. इन्हीं परेशानियों के कारण इन्हें मारने का भी मन करता है. अब हमारा तो ठीक है, लेकिन सोचकर देखिए अगर कोई पूरा देश इन छोटे जीवों से परेशान हो जाएं तो. जी हां न्यूजीलैंड के साथ इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. दरअसल यह देश चूहों से इतना परेशान हो गया है कि इसने चूहों के अस्तित्व को खत्म करने की कसम खा ली है. न्यूजीलैंड में चूहों को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार द्वारा अभियान चलाया रहा है. सरकार ने इस छोटे जीव के खात्मे के लिए बड़ी बड़ी नीतियां भी बनाई है.खास बात है कि चूहों को खत्म करने के इस अभियान में जनता भी सरकार का पूरा समर्थन कर रही है.
चूहों को क्यों मार रहा न्यूजीलैंड ?
चूहों की तादाद न्यूजीलैंड में बाकी जीव-जंतुओं और पक्षियों के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गई है. चूहों की बढ़ती संख्या के कारण बाकि पशु पक्षियों को पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है. ये चूहे जंगल और खेतों से सारे अनाज और बेरी चट कर जा रहे हैं जिससे लोगोंऔर दूसरे जीवों से सामने पेट भरने की चुनौती खड़ी हो गई है. इनके कारण न्यूजीलैंड की पहचान कीवी पक्षी भी खत्म होने की कगार पर आ गए है. यही कारण है कि अब न्यूजीलैंड सरकार ने चूहों के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ दिया है.
2050 तक खत्म किए जाएंगे चूहे
स्थानीय सरकार ने दावा किया है कि देश से साल 2050 तक सारे चूहों को खत्म कर दिया जाएगा. इसे लेकर कई पॉलिसिस बनाई गई है. चूहों की समस्या न्यूजीलैंड में इस हद तक बढ़ गई कि पर्यावरण कार्यकर्ता भी चूहों को मारने में सरकार की मदद कर रहे हैं. हालांकि कई विशेषज्ञों को न्यूजीलैंड सरकार के लक्ष्य पर संदेह जताया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लाखों वर्ग किलोमीटर में फैले इलाके से चूहों को खत्न करना नामुमकिन है.
सरकार ने बनाई टीम
न्यूजीलैंड में चूहों के खात्मे के अभियान में सरकार के साथ आम नागरिक भी आ गए हैं. देश के अलग अलग हिस्सों में कई टीमें बनाई गई है. ये टीमे चूहों को जहर, जाल और ट्रैप से मारने की कोशिश करती है. देश भर के स्कूल्स चूहे मारने का मुकाबला बच्चों के बीच करवा रहे हैं. सबसे ज्यादा चूहे मारने वाले बच्चे को बड़ा ईनाम दिया जा रहा है.