नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्ष आर पार की लड़ाई के मूड में आ गया है। राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन कराने पर अड़े विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। अब तक करीब दो दर्जन दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। इसी बीच पूरा विवाद देश के शीर्षस्थ न्यायालय पहुंच गया है। सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने एक जनहित याचिका लगाई है उसमें उन्होंने क्या क्या कहा है आइए जानते हैं पूरा मामला।
संविधान का उल्लंघन
उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके केंद्र सरकार ने भारत के संविधान का उल्लंघन किया है। इससे संविधान की गरिमा का ख्याल नहीं रखा जा रहा है।याचिका में कहा गया है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।
ये दल समारोह में होंगे शामिल
रविवार को होने वाले समारोह का करीब दो दर्जन राजनैतिक दलों ने बहिष्कार किया है जबकि कई दलों समारोह में शामिल होने का निर्णय लिया है। कार्यक्रम में शामिल होने वाले राजनीतिक दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), शिरोमणि अकाली दल, बीजू जनता दल (बीजेडी) और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सहित करीब 25 दलों ने समारोह में शामिल होने का निर्णय लिया है।
इन्होंने किया बहिष्कार
राजद,जदयू,एनसीपी,द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके),एआईएमआईएम,तृणमूल कांग्रेस,आम आदमी पार्टी,भारतीय भाकपा,विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके),सपा सहित करीब 20 दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।
ये है पूरा विवाद
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे पहले नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए न कि प्रधानमंत्री को। राहुल की इस मांग कई विपक्षी दलों ने उनका समर्थन किया। आपको बता दें कि 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इससे पहले इस मुद्दे पर राजनीति शुरु हो गई और मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई।