संसद के नए भवन का उद्घाटन 28 मई रविवार को होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसके लिए की जा रहीं तैयारियां अब अपने अंतिम चरणों में है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों को न्यौता भी भेज दिया गया है। लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर इन दिनों सियासत गरमा गई है।
- नई बिल्डिंग में 888 लोकसभा की सीटें
- राज्यसभा की हैं 384 सीटें
- विजिटर्स गैलरी में 336 लोगों के बैठने की व्यवस्था
- जॉइंट सेशन के वक्त 1272 सांसदों के बैठने की व्यवस्था
- नए संसद भवन के आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं
- 2019 में बिमल पटेल को किया गया पद्मश्री से सम्मानित
सियासत से हटकर नए संसद भवन की खासियत पर गौर करें तो यहां लोकसभा में 888 सीटें हैं। विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। वहीं संसद के नए भवन में बनाई गई नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं। इतना ही नहीं विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता रखी गई है। दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकते हैं। नए संसद भवन में अहम कामकाज के लिए अलग से आधुनिक सुविधाओं से लैस कार्यालय बनाए गए हैं। इतना ही नहीं डाइनिंग एरिया, कैफे, कमेटी मीटिंग के लिए भी तमाम कमरे बनाए गए हैं। जहां हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं। कॉमन रूम्स के अलावा महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज का भी नए भवन में इंतजाम किया गया है।
देश के अलग-अलग हिस्सों से बुलाई गई निर्माण सामग्री
संसद के भवन के निर्माण में बलुआ पत्थर लगा है। जो राजस्थान के सरमथुरा से बुलाया गया था। वहीं सागौन यानी टिक वुड की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई थीी। तो जो कार्पेट बिछा है वो उत्तर प्रदेश मिर्जापुर से मंगवाया गया है। त्रिपुरा के अगरतला से बांस की लकड़ी की फ्लोरिंग मंगवाई गई। स्टोन जाली वर्क्स भी राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से बुलवाया गया है। इसके साथ ही अशोक प्रतीक को महाराष्ट्र औरंगाबाद और राजस्थान जयपुर से मंगवाया गया। मप्र की व्यावसायिक राजधानी इंदौर से अशोक चक्र को लिया गया। राजस्थान के जैसलमेर से लाल लाख मंगवा गया। राजस्थान से ही अंबाजी से सफेद संगमरमर पत्थर खरीदे गए थे। तो उदयपुर से केसरिया ग्रीन स्टोन मंगवाया गया। यहां उपयोग की गई एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी और फ्लाई ऐश ब्रिक्स एनसीआर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से खरीदा गया। गुजरात के अहमदाबाद से ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच लिए गए। दमन और दीव से एलएस और आरएस फाल्स सीलिंग स्टील संरचना ली गई।
पद्मश्री से सम्मानित हैं आर्किटेक्ट बिमल पटेल
नए संसद भवन के आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं। जिन्हें साल 2019 में पद्श्री से नवाजा गया है। नई बिल्डिंग की सबसे बड़ी खासियत संविधान हॉल है। जो भवन के बीचोंबीच बना है। इस पर अशोकस्तंभ लगाया गया है। इस हॉल में संविधान की प्रति रखी जाएगी। साथ ही महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्रियों की आदमकद तस्वीरें लगाई गई हैं। बता दें संसद की ये नई बिल्डिंग केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। जिसका निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू किया गया था।
संसद का वर्तमान भवन 1927 में बना था
नए संसद भवन को लेकर जहां लोगों में जिज्ञासा है वही सवाल से भी है कि आखिर इसकी जरुरत क्यों आन पड़ी। दरअसल मौजूदा संसद का भवन साल 1927 में बना था। ये भवन लगभग 100 साल पुराना होने जा रहा है। बता दें मौजूदा संसद भवन के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था नहीं है। जगह का आभाव बना रहता है। ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की ओर से 5 अगस्त 2019 को सरकार से नए संसद के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद 10 दिसंबर 2020 में पीएम मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था। जिसके बाद 15 जनवरी 2021 को नई बिल्डिंग के निर्माण का काम शुरू किया गया था।