1955 में हुई थी भारत-रूस सम्बन्धों की नई शुरुआत
भारत ने भले ही गुटनिरपेक्षता की नीति निति अपनाई लेकिन भारत की रूस से मित्रता जगजाहिर है। अच्छे संबंध के पीछे कई राजनितिक व आर्थिक कारण हैं। न केवल सोवियत संघ ने भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखे थे बल्कि समय समय पर रूस ने भारत की आर्थिक और सामरिक रूप से भी भरपूर मदद भी की। इस वजह से भारत के रूस के साथ संबंध और नया रूप लेते गये। सोवियत संघ ने गुटनिरपेक्ष देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध की निति अपनाई इसलिए भारत के साथ उसने अच्छे संबंध कायम रखे।
भारत और रुस के बीच सम्बन्धों की शुरुआत 1955 में हुई। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और सोवियत रूस के नेता ख्रुश्चेव के भारत दौरे के बाद नई शुरुआत हुई थी। सोवियत रूस ने विश्व पटल पर कश्मीर विवाद पर न सिर्फ भारत का समर्थन किया बल्कि आर्थिक व सैन्य सहायता भी दी। 1965 के भारत पाक युद्ध में रूस ने मध्यस्था कर दोनों देशों के बीच ताशकंद समझौता करवाया। तो अगस्त 1971 में दोनों देशों ने शान्ति, मित्रता एवं सहयोग सम्बन्धी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके फलस्वरूप भारत को 1971 में भारत पाक युद्ध में काफी सहायता मिली। इसके बदले में भारत ने भी सोवियत रूस की नीतियों का समर्थन किया। 1979 में जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया। तब भी भारत एक मित्र होने के नाते सोवियत रूस के समर्थन में खड़ा नजर आया था।
1991 में सोवियत रूस का विघटन
1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद रूस की स्थति अपेक्षाकृत कमजोर हो गईं। इसलिए रूस के लिए यूरोप के देशों से बेहतर संबंध रखना उसके आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से आवश्यक हो गया। उसने ऐसा ही कियाण् इस दौरान भारत से उसके संबंध सामान्य रहे। किन्तु रुसी व्यापार एवं संबंध केंद्र में यूरोप के विकसित राष्ट्र एवं एशिया के जापान व चीन विकसित देश थे। 1993 में जब रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आए तो उन्होंने 1971 में हुए भारत सोवियत रूस समझौते का नवीनीकरण किया। यदपि इस नवीनीकरण में सुरक्षा सम्बन्धी पक्षों को हटा लिया गया। फिर भी इस समझौते से दोनों देशों के सम्बन्धों में सहायता मिली।इसके बाद 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव रूस की यात्रा पर गये एवं दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए मास्को घोषणापत्र पर रुसी राष्ट्रपति येत्सिन के साथ हस्ताक्षर किए।
1971में में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और रूस के कद्दावर विदेश मंत्री आंद्रेई ग्रॉमिको के बीच समझौता हुआ। एक ऐसे समझौते के लिए जिसके बाद भारत के लिए रूस आधी दुनिया से टकरा गया था। 1971में पाकिस्तान में बंगाली लोगों की हत्या हुई थी। भारत ने युद्ध छेड़ा लेकिन अमेरिका ने भारत को विलेन कहना शुरू किया था। यूकेए फ्रांसए यूएईए टर्कीए इंडोनेशियाए चीन और आधी दुनिया ने पाकिस्तान का साथ दिया लेकिन रूस ने दोस्ती निभाते हुए समुद्री रास्ता रोककर अमेरिकाए ब्रिटेन समेत दूसरे देशों के पोत को भारत पर हमला करने से रोक दिया था। बात 1984 की करें तो रूस ने भारत को सिर्फ जंग के मैदान में ही नहीं बल्कि आसमान और अंतरिक्ष को फतह करने में भी साथ दिया। 1975 में पहले उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण में और फिर 1984 में राकेश शर्मा के अंतरिक्ष यात्रा में भी रूस ने काफी मदद किया था। 1988 की बात करें तो 1971 के बाद भारत और रूस की दोस्ती दुनिया भर के लिए मिसाल बन गई थी। दुनिया के दूसरे देश दोनों देशों की दोस्ती पर नजर लगानी शुरू कर दी। इसके बाद जब सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव आधिकारिक दौरे पर भारत आए तो प्रधानमंत्री राजीव गांधी उनका स्वागत करने सीधे एयरपोर्ट पहुंच गए थे। वहीं 1993 में एक बार फिर से भारत के दौरे पर रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन आए। इस दौरान राष्ट्रपति भवन में एक स्वागत समारोह में भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन का स्वागत किया। साल 2000 में दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं कहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी समझते थे कि पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी से निपटने के लिए रूस जैसा एक यार तो पक्का ही साथ होना चाहिए। इसीलिए दोस्ती को मजबूत करने के लिए अक्टूबर 2000 में वाजपेयी और राष्ट्रपति पुतिन मिले। इस दौरान भारत और रूस के बीच सामरिक भागीदारी की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे। बात करें 2007 की तो अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सरकार भले बदल गई हो पर भारत को लेकर पुतिन के प्यार में कोई कमी नहीं आयी। एक बार फिर पुतिन भारत आए और हिंदुस्तान को परमाणु ऊर्जा के लिए तकनीक और संसाधन देने का वादा किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह की मौजूदगी में ये समझौता हुआ। इसके बाद 2014 में जब नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर दुनिया भर में हाय तौबा मची कि भारत की यह सरकार अमेरिका के ज्यादा करीब है। लेकिन पुतिन को पता था भारत कहीं नहीं जाने वाला है। यही वजह है कि एक बार फिर जब पुतिन 2014 में भारत आए और अपने कलेजे से प्रधानमंत्री मोदी को लगाया तो आधी दुनिया के देश इस दोस्ती को देख जल गए। 2021 में जब मामला कश्मीर का आया तो रूस ने आगे बढ़कर संयुक्त राष्ट्र में भारत की आवाज बुलंद की। अब ड्रैगन को जवाब देने के लिए रूस भारत को एस ण् 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भेजी। रूस भारत को सुखोई एसयू 30एमकेएलए जेट फाइटर का अपडेट वर्जन देता है। जिसका वह अपने देश की सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल करता है। इसलिए ये यात्रा बहुत जरूरी है।
रूस-यूक्रेन की जंग और भारत
रूस और यूक्रेन की जंग खतरनाक मुकाम पर पहुंच चुकी है। रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं। भारत ने भी अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है। इस बीच भारत सरकार के उच्च अधिकारियों की मानें तो भारत इस युद्ध में शामिल दोनों देशों में से किसी को भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सैन्य सहायता देने का पक्षधर नहीं है।
वेट एंड वॉच की नीति
भारत इस युद्ध में सक्रिय भूमिका से खुद को दूर रखना चाहता है। मगर युद्ध विराम के लिए मध्यस्थता की खातिर भारत हमेशा तैयार है। भारत दोनों देशों के बीच शांति कायम करने का पक्षधर है। फिलहाल भारत वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहा है। किसी भी सूरत में भारत ना तो रूस से रिश्ते खराब करना चाहता है और ना ही यूक्रेन को मानसिक, आर्थिक और सैन्य मदद देने वाले पश्चिमी देशों से। इनमें अमेरिका भी शामिल है जिसे भारत नाराज नहीं करना चाहता।
भारत की कूटनीति
भारत की कूटनीति और आर्थिक उन्नति के लिए रूस और यूक्रेन यानी दोनों तरफ के मुल्क अहम हैं। लिहाजा भारत ने पहले दिन से यह विकल्प खुला रखा है कि अगर युद्ध विराम के लिए बिचौलिया की भूमिका अदा करनी हो तो वह आगे आएगा। निकट भविष्य में अगर ऐसा होता है तो शांतिदूत के तौर पर भारत विश्व मानचित्र में शिखर पर होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि यह समय युद्ध लड़ने का नहीं है। इसी ओर एक बड़ा संकेत है। मौजूदा हालात में चीन बड़े दोस्त की तरह रूस के साथ खड़ा है। तो दूसरी तरफ अमेरिका बड़े भाई की तरह यूक्रेन की ना सिर्फ हर संभव मदद कर रहा है बल्कि रूस को घूरने का भी कोई मौका नहीं छोड़ रहा। इस युद्ध ने पूरी दुनिया को असुरक्षा और महंगाई के जाल में फंसा दिया है। हालांकि भारत के प्रयास इस जाल को हटाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं तो वह विश्व गुरु होगा।