एक गलती से डुबा सबकी पसंद निरमा जानें कैसे डुबा जमा जमाया कारोबार
आजकल के समय में तो सर्फ के नाम पर कई तरह के पाउडर सामने आ गए हैं, लेकिन एक समय ऐसा था जब सिर्फ निरमा का जादू हर घर में चला करता था। सिर्फ निरमा की धुलाई ही नहीं बल्कि गाना भी काफी मशहूर था
करसन भाई पटेल ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। उन्होंने साइकिल पर जाकर प्रोडक्ट बेचने का काम शुरू किया था और 17 हजार करोड़ का कारोबार खड़ा कर दिया परंतु आखिर ऐसा क्या हो गया कि कंपनी की पहचान माना जाने वाला प्रोडक्ट निरमा वाशिंग पाउडर अब कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। अब नए उत्पादों ने वाशिंग पाउडर निरमा की जगह ले ली है। अब यह प्रोडक्ट सिमटकर 6% पर आ गया है, जो कभी बाजार के 60 फीसदी पर कब्जा बनाए रखता था।
फिर होने लगी यह गलती…!
निरमा की मांग बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही थी, जैसे ही निरमा बाजार में आता था वह तुरंत बिक जाता था। धीरे-धीरे निरमा ने दूसरे ब्रांड को भी पछाड़ दिया। साल 2005 तक आते-आते निरमा एक ब्रांड कंपनी बन चुकी थी। इतना ही नहीं बल्कि शेयर बाजार में भी लिस्टेड हो गई थी। कंपनी ने वॉशिंग पाउडर फील्ड में प्रतिस्पर्धा बढ़ती हुई देखी तो अन्य क्षेत्रों में भी निवेश शुरू किया।
ऋतिक रोशन को अपना ब्रांड एंबेसडर की बड़ी गलती
वही कंपनी से एक गलती विज्ञापन में भी हुई। खासकर महिलाओं को टारगेट कर कंपनी विज्ञापन दिखाती थी परंतु ना जाने क्या कंपनी को सुझा कि इनोवेशन के नाम पर महिला की जगह पुरुष से कपड़े धुलवाने शुरू कर दिए। कभी हेमा मालिनी सहित बॉलीवुड की चार मशहूर अभिनेत्रियों से कंपनी ने विज्ञापन करवाया लेकिन निरमा कंपनी ने इस बार बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन को अपना ब्रांड एंबेसडर बना दिया
गुजरात से शुरू हुई कंपनी निरमा वाशिंग पाउडर की नींव पूरी तरह जज्बा और जज्बात पर रखी गई. गुजरात के मेहसाणा जिले में एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले करसन भाई पटेल शुरू से ही कुछ करना चाहते थे. पढ़ाई पूरी कर उन्होंने अहमदाबाद में लैब टेक्निशियन की नौकरी की लेकिन जल्द ही उन्हें गुजरात सरकार के खनन एवं भूविज्ञान विभाग में सरकारी जॉब मिल गई. सरकारी नौकरी के बावजूद करसन भाई के मन में कुछ अलग करने का जज्बा था और तभी उनकी जिंदगी में भूचाल आया. उनकी बेटी निरुपमा अचानक एक हादसे में चल बसी. अचानक हुए इस हादसे ने उन्हें तोड़ दिया. वे चाहते थे कि उनकी बिटिया पूरी दुनिया में नाम कमाए, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं था. इसी जज्बात को उन्होंने जज्बा बना लिया और बिटिया के नाम से ही डिटर्जेंट प्रोडक्ट बनाना शुरू किया.