Hockey World Cup 2023 जिस टीम से लगाए थे पदक की आस, वही भारतीय टीम बिखर गयी जैसे हो ताश

क्या रहे कारण भारत के शर्मनाक प्रदर्शन के?

Hockey world cup

प्रतीकात्मक तस्वीर

Hockey World Cup 2023: भारतीय हॉकी टीम का 48 साल बाद फिर एक बार वर्ल्ड कप जीतने का सपना अधूरा रह गया। 22 जनवरी को भुवनेश्वर में खेले गए मैच में न्यूजीलैंड ने भारत को क्रॉस ओवर मुकाबले में पेनल्टी शूटआउट में 5-4 से हरा दिया। यह भारत के लिए करो या मरो वाला मुकाबला था. इस हार के बाद टीम इंडिया हॉकी वर्ल्ड कप से बाहर हो गई।

जानिए जिन वजहों से भारत वर्ल्ड कप से बाहर हुआ

एक टीम जो 1975 में स्वर्ण पदक के बाद पहली बार पोडियम पर जगह बनाने के लक्ष्य के साथ उतरी थी उसके लिए क्वार्टर फाइनल से पहले ही टूर्नामेंट से बाहर होना जाना लचर प्रदर्शन ही है। टीम सेमीफाइनल नहीं तो कम से कम क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने की हकदार थी। दुनिया की छठे नंबर की टीम को क्रॉसओवर मुकाबले दो मौकों पर दो गोल की बढ़त बनाने के बावजूद दुनिया की 12वें नंबर की टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ पेनल्टी शूट आउट में हार का सामना करना पड़ेगा, यह किसने सोचा था।

टीम की ट्रेनिंग, अनुभव दौरों और सहयोगी स्टाफ के वेतन पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए और इसे देखते हुए टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। विश्व कप के इतिहास में यह भारत का चौथा सबसे खराब प्रदर्शन है। मेजबान टीम अब टूर्नामेंट में नौवें स्थान से बेहतर हासिल नहीं कर सकती है। टीम को 26 जनवरी को राउरकेला में क्लासिफिकेशन मैच में जापान से भिड़ना है। टीम ने चार मौकों पर नौवें स्थान से भी खराब प्रदर्शन किया है।

अवसरों को गोल में नहीं बदल पाए

टूर्नामेंट से जल्द बाहर होने के कई कारण हैं। इनमें दो मुख्य कारण पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में अधिक सफलता नहीं मिलना और अग्रिम पंक्ति द्वारा फिनिशिंग की कमी है। इसके अलावा रक्षा पंक्ति के प्रदर्शन में भी निरंतरता की कमी दिखी। पेनल्टी कॉर्नर में भारत की नाकामी का अंदाजा इस बात से लगता है कि टीम चार मैच में 26 पेनल्टी कॉर्नर पर सिर्फ पांच गोल कर सकी।

इतना ही नहीं इनमें से सिर्फ दो गोल सीधे ड्रैग फ्लिक पर हुए जो वेल्स के खिलाफ कप्तान हरमनप्रीत सिंह और न्यूजीलैंड के खिलाफ वरूण कुमार ने किए। तीन अन्य गोल अमित रोहिदास, शमशेर सिंह और सुखजीत सिंह ने रिबाउंड पर किए। भारत की ओर से पेनल्टी कॉर्नर पर सबसे अधिक प्रयास हरमनप्रीत ने किए लेकिन सिर्फ दो गोल कर पाए।

हरमनप्रीत पर बहुत निर्भर थे हम

पेनल्टी कॉर्नर पर वैरिएशन की कमी और हरमनप्रीत पर अतिनिर्भरता का भारत को नुकसान हुआ। इसके अलावा आक्रमण और रक्षण दोनों में निरंतरता की कमी भी दिखी जिस ओर रीड ने भी इशारा किया। भारत की रक्षा पंक्ति ने स्पेन और इंग्लैंड के खिलाफ शुरुआती दो मैच में अच्छा प्रदर्शन किया और टीम के खिलाफ इन दो मैच में कोई गोल नहीं हुए। भारत ने हालांकि टूर्नामेंट में पदार्पण कर रही दुनिया की 14वें नंबर की टीम वेल्स के खिलाफ दो गोल गंवाए और फिर न्यूजीलैंड को तीन गोल करने का मौका दिया।

फिनिशिंग में कमी रही

इसके अलावा भारत को फिनिशिंग में कमी का भी खामियाजा भुगतना पड़ा। टीम कई बार अच्छे मूव को गोल में बदलने में नाकाम रही। न्यूजीलैंड के खिलाफ भी भारत ने दबदबा बनाया लेकिन कई मूव बनाने के बावजूद टीम अधिक गोल करने में नाकाम रही। पिछले दो मैच में मिडफील्डर हार्दिक सिंह भी पैर की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण नहीं खेल पाए जिसका खामियाजा टीम को उठाना पड़ा। वह इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे पूल मैच में चोटिल हो गए थे।

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