पेंशन के मुद्दे पर विपक्ष के सवालों में घिरी रहने वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने अब विपक्ष को जवाब देने के लिए बड़ी काट निकाली है। अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस केन्द्र सरकार ने पेश की है। इसके साथ ही देश में एक और नई पेंशन व्यवस्था अस्तित्व में आ गई हालांकि यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। चलिए समझते हैं यूपीएस को पुरानी दो पेंशन व्यवस्था यानी ओपीएस और एनपीएस से कैसे अलग माना जा सकता है और इनमें समानता क्या है?
- पेंशन के मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब
- एनडीए सरकार ने विपक्ष को दिया जवाब
- पेश की यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस
- केन्द्र सरकार ने पेश नई पेंशन व्यवस्था
- 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी नई पेंशन व्यवस्था
लोकसभा चुनाव से पहले जब उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब केंद्र सरकार के सामने न्यू पेंशन स्कीम या नेशनल पेंशन सिस्टम एनपीएस को लेकर कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा था। इसके बाद जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे प्रमुख राज्यों में विधानसभा के चुनाव से लेकर 2024 में हुए आम चुनाव तक विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते रहा उस पर हावी रहा है। ऐसे में अब जबकि हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनावों का ऐलान हो चुका है। साथ ही आने वाले दिनों में महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों होना हैं इससे पहले एनडीए सरकार ने विपक्ष के आरोपों की काट के तौर पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस को पेश किया है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस को इस प्रकार से डिजाइन किया है कि इस योजना में पिछली पुरानी दोनों पेंशन व्यवस्था के गुण समाहित करने का प्रयास किया गया है। केन्द्र की एनडीए सरकार जब एनपीएस को लेकर विरोध का सामना कर रही थी उस सयम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके संकेत दे दिये थे कि केन्द्र सरकार एनपीएस में सुधार और सरकारी कर्मचारियों को एक फिक्स पेंशन देने की योजना पर विचार कर सकती है। अब केन्द्र सरकार ने यूपीएस को पेश कर दिया है।
नए पेंशन स्कूी UPS की पांच बड़ी बातें
कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने से पहले के 12 महीने की बेसिक सैलरी के औसत का 50 फीसदी राशि एश्योर्ड पेंशन के रूप में मिलेगी। किसी ने अगर 25 साल नौकरी की है तो उसे यह पेंशन मिलेगी। 25 साल से कम और 10 साल से ज्यादा है तो कम होगी।
एश्योर्ड फैमिली पेंशन में कर्मचारी के निधन होने पर उसकी जो पेंशन बनेगी (यदि मौत की जगह उसका रिटायरमेंट हुआ होता) उसका 60% पेंशन के रूप में परिवार को मिलेगा।
एश्योर्ड मिनिमम पेंशन में दस साल से कम सर्विस होने पर एश्योर्ड मिनिमम पेंशन राशि 10 हजार रुपए महीना होगी। महंगाई के साथ यह आज की तारीख में करीब 15 हजार रुपए के आसपास होगी।
इन तीनों पेंशन पर महंगाई के हिसाब से DR डियरनेस रिलीफ का भी पैसा मिलेगा। जो ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंड्रस्ट्रियल वर्कर्स AICPI-W पर आधारित होगा। किसी कर्मचारी को उसके नौकरी के आखिरी छह महीनों की सैलरी और भत्ता एक साथ बड़े अमाउंट के तौर पर दिया जाएगा।
सरकार ने जो यूपीएस पेश की है उस योजना में फिक्स पेंशन के साथ ही साथ परिवार पेंशन और मिनिमम पेंशन के साथ ग्रेच्युटी और महंगाई भत्ता जैसे कई लाभ भी जोड़ दिये गए हैं। यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस में अब सरकारी कर्मचारियों को उसकी नौकरी के आखिरी साल में जो वतन मिलेगा उसके बेसिक पे के औसत के करीब 50 प्रतिशत के बराबर की एश्योर्ड पेंशन सवानिवृत्त होने के बाद मिलेगी। हालांकि इसका फायदा उन कर्मचारियों को मिलेगा जो 25 साल की नौकरी पूरी कर चुके होंगे। कोई कर्मचारी अधिकारी 10 साल में सरकारी नौकरी कर उसे छोड़ देते हैं। तब भी उनको 10 हजार रुपए की एश्योर्ड मिनिमम पेंशन मिलेगी ही मिलेगी। यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस में पेंशन पाने के लिए अधिकारियों कर्मचारियों को कम से कम दस साल तक नौकरी करना अनिवार्य होगा।
फैमिली पेंशन का प्रावधान
सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी के अचानक निधन पर उसके परिवार को तकल 60 प्रतिशत पेंशन दी जाएगी। एश्योर्ड पेंशन यानी एश्योर्ड मिनिमम पेंशन और एश्योर्ड फैमिली पेंशन के तहत अधिकारियों कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का भी लाभ मिलेगा। यह आल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फार इंडस्ट्रियल वर्कर्स के तहत ही होगा। इस पेंशन योजना में ग्रेच्युटी के साथ सुपरएनुएशन का भुगतान भी किया जाएगा। सुपरएनुएशन पर कर्मचारी और अधिकारी को ठीकठाक भुगतान मिले। इसके लिए कर्मचारी के हर छह महीने की नौकरी को पूरा करते ही सैलरी और महंगाई भत्ता के 1/10वें हिस्से को ग्रेच्युटी में जोड़ा जाएगा। इस भुगवान का कर्मचारी के एश्योर्ड पेंशन पर प्रभाव नहीं होगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम के लिए कर्मचारी को अपने बेसिक पे का करीब 10 प्रतिशत योगदान देना होगा। जबकि सरकार की ओर से भी बेसिक पे का करीब 18.5 प्रतिशत हिस्सा जमा किया जाएगा।
NPS और UPS में अंतर
केन्द्र सरकार की ओर से यूपीएस में भी एनपीएस की तरह कर्मचारी के योगदान के विकल्प को बरकरार रखा है। हालांकि कई ऐसी बातों को शामिल किया गया है। जिससे ये उसके मुकाबले ज्यादा बेहतर पेंशन स्कीम बन जाती है। एनपीएस को लेकर सबसे बड़ा विरोध दरअसल एश्योर्ड पेंशन का नहीं होना था। यूपीएस में अब इस विसंगति को दूर कर लिया गया है।
एनपीएस के तहत कर्मचारी को अपने बेसिक पे और महंगाई भत्ता के कुल योग का 10 प्रतिशत योगदान करना होता था। जबकि सरकार का योगदान उसके मूल वेतन और महंगाई भत्ते का करीब 14 प्रतिशत होता था। एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद आप जब अपना पैसा वापस निकालने पर 60 प्रतिशत राशि टैक्स फ्री होती थी। जबकि 40 फीसदी राशि पर सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स जमा करना होता था। ओपीएस में पेंशन कर मुक्त होती है,जो यूपीएस में नहीं होगी। इसका लाभ फिलहाल सिर्फ 1 जनवरी, 2004 से पहले से नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों को ही मिल रहा है।