लोकसभा की चुनावी तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी किसी भी मोर्चे पर कोई जोखिम लेना नहीं चाहती। यही वजह है कि जहां विपक्षी दलों ने 26 दलों का कुनबा एकत्रित किया है वहीं भाजपा ने एनडीए का विस्तार करके 38 दलों का एक साथ कर लिया है। इसके अलावा दो और दल हैं जिन्हे जल्द ही एनडीए में शामिल कर लिया जाएगा। हालांकि बातचीत में कोई बात नहीं बनती है तो मामला ठीक उल्ट भी हो सकता है।
दलों की संख्या बढ़ाने पर फोकस
भाजपा इन दिलों एनडीए में ज्यादा से ज्यादा दलों की संख्या बढ़ाने का काम कर रही है। हालांकि ये दल कितने उपयोगी हैं इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चर्चा इस बात पर हो रही है कि एनडीए में कुल 38 राजनैतिक दल है जिनमें से कई ऐसे दल है जिन्होंने कभी लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीती है और 10 पार्टियां ऐसे है जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ा। जबकि 15 दल ऐसे है जिन्होंने चुनाव तो लड़ा लेकिन सीट एक भी नहीं जीत पाए। अब जो दो राजनैतिक दलों के एनडीए में शामिल होने की बात चल रही है उसमें एक बिहार की मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी और दूसरी उत्तर प्रदेश की महान दल पार्टी है जो एनडीए में शामिल हो सकती है। भाजपा के दो नेताओं के साथ उपरोक्त दलों के नेता लगातार चर्चा कर रहे हैं और माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास भारी वोट शेयर है और बिहार में भी अच्छा मत प्रतिशत है,लेकिन दोनों ही राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन को मजबूत करने के लिए क्षत्रपों को जगह दी जा रही है।
क्या कहते है जानकार
राजनीति की गहरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि आने वाले साल में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के एक साथ आने के बाद भाजपा को एनडीए को फिर से जीवंत करने की जरूरत महसूस हो रही है। उन्हे लगता है कि जिस तरह सिे एनडीए का विस्तार हुआ है उसी तरहह से वोट प्रतिशत में भी इजाफा होगा। हालांकि इससे पहले अकाली और टीडीपी में एनडीएम में वापसी की चर्चाए भी शुरु हुई थीं,लेकिन इस बीच जेडीएस ने कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।