नासा ने बोइंग के स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी को देखते हुए भारतीय मूल की ऐस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को अगले साल फरवरी में धरती पर वापस लेकर आने का फैसला किया है। नासा के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला हैं।
- स्पेस में सुनीता विलियम्स 85 दिन से हैं फंसी
- नासा ने स्वीकार किा है कि बोइंग के स्पेसक्राफ्ट में आई तकनीकी खराबी
- भारतीय मूल की ऐस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अब फरवरी 2025 में लैटेंगी
- अब फरवरी 2025 में धरती पर लौटेंगे दोनों ऐस्ट्रोनॉट नासा
- नासा के इस फैसले के पीछे अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला हैं
- हादसे का शिकार हो गया था कल्पना चावला का कोलंबिया स्पेस शटल
- 1 फरवरी 2003 को हुआ था हादसा,7 लोगों की गई थी जान
- हादसे के बाद नासा ने बढ़ाई सर्तितर
दरअसल, 1 फरवरी 2003 को धरती के वायुमंडल में एंट्री करते ही भारतीय मूल की पहली महिला ऐस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का कोलंबिया स्पेस शटल टूटकर जल गया था। इस हादसे में कल्पना समेत 7 लोगों की मौत हुई थी। इस अप्रत्याशित हादसे के बाद से नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सावधानी और बढ़ा दी है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने जानकारी देते हुए कहा 2003 में हुए उस अंतरिक्ष हादसे ने नासा के फैसले पर गहरा असर डाला है। उस समय नासा की तरफ से कई गलतियां भी की गईं थीं। लेकिन तब माहौल बहुत अलग था, आज आधुनिक तकनीक ने महौल बदल दिया है।
जूनियर फ्लाइट इंजीनियर्स की बातों और चेतावनियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हम नासा में हर शख्स को अपनी बात रखने का मौका देते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सबसे अहम, स्पेस फ्लाइट हमेशा ही खतरनाक नासा अधिकारियों ने बताया कि सुनीता विलियम्स के मामले में उन्हें बोइंग स्पेसक्राफ्ट से न लाने का फैसला एकमत से लिया गया था। बिल नेल्सन ने कहा कि स्पेस फ्लाइट सबसे सुरक्षित सफर के दौरान भी बेहद खतरनाक हो सकती है। हमारे लिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता है, जिसे देखते हुए यह फैसला लिया गया।
1 फरवरी 2003 को हादसे में चली गई थी कल्पना चावला की जान
बता दें हरियाणा के करनाल में जन्मीं कल्पना चावला की ओर से अपने सहयोगियों के साथ 16 जनवरी 2003 को नासा के स्पेस यान कोलंबिया स्पेस शटल के जरिए अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थीं। उनकी यह यात्रा 15 दिन की थी। यात्रा को पूरा करने के बाद 1 फरवरी 2003 को जब कल्पना चावला धरती पर वापस लौट रहीं थीं तब लैंडिंग से 16 मिनट पहले उनका
एयरक्राफ्ट हादसे का शिकार हो गया था।
इस हादसे में में सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 28 जनवरी 1986 को भी स्पेस शटल चैलेंजर में भी धरती पर लौटते वक्त विस्फोट हो गया था। इस हादसे में 14 ऐस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी। 85 दिन से स्पेस में फंसी सुनीता, अगले साल होगी वापसी नासा ने 24 फरवरी को बताया था कि भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर फरवरी 2025 तक ही अब धरती पर वापस लौटेंगे।
5 जून को स्पेसक्राफ्ट ls अंतरिक्ष में से भेजे गए थे
स्पेस में फंसे दोनों ही एस्ट्रोनॉट को बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल में इस तरह लाना खतरनाक साबित हो सकता है। बता दें दोनों ही अंतरिक्ष यात्रियों को इसी साल 5 जून को इसी स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में से भेजे गए थे। नासा की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अब फरवरी 2025 में एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए धरती पर लौटेंगे। वहीं, स्टारलाइनर कैप्सूल एक या दो हफ्ते में अलग होकर ऑटो पालयलट मोड पर वापस आने की कोशिश करेगा। अधिकारी बिल नेल्सन की ओर से कहा गया है कि बोइंग का स्टारलाइनर बगैर चालक दल के ही धरती पर वापसी करेगा।बता दें सुनीता और विल्मोर को इसी साल 13 जून 2024 को वापस धरत पर आना था, लेकिन उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के चलते दोनों की वापसी टल गई थी।
अंतरिक्ष में कैसे रह रहे हैं सुनीता और विलमोर
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई। नासा ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के भ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई भ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है। -लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।