Budget 2023; मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट,क्या पूरे होंगे मध्यम वर्गीय और नौकरी पेशा लोगों के सपने?

Modi government last full budget will the dreams of middle class and employed people be fulfilled

नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है। बजट सत्र की शुरुआत मंगलवार की सुबह 11 बजे सेंट्रल हॉल में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश किया जाएगा। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। ये केंद्रीय बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट हो सकता है। ऐसे में आम चुनाव से पहले पेश होने वाले इस बजट पर सबकी निगाह टिकी हुई हैं।

उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर कुछ राहत दे सकती है। इसके अलावा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का दायरा बढ़ाये जाने की भी संभावना है। मौजूदा वैश्विक चुनौतियों और घरेलू स्थिति को देखते हुए बजट में सरकार की प्राथमिकताओं के को लेकर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि निश्चित रूप से कई वैश्विक समस्याएं एक साथ सामने आई हैं। इससे देश में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आर्थिक चुनौतियां बढ़ी हैं। इसमें आर्थिक वृद्धि दर का धीमा होना। मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे में वृद्धि के साथ रोजगार का पर्याप्त संख्या में नहीं बढ़ना शामिल है। महंगाई खासकर मुख्य मुद्रास्फीति (ईंधन और खाद्य वस्तुओं को छोड़कर) अब भी ऊंची बनी हुई है।

रोजगार और निर्यात बढ़ाने पर होगा विशेष जोर

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार धीमी हुई है। ऐसे में अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर केवल 5.2 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा, चालू खाते का घाटा भी संतोषजनक स्तर से ऊपर है। इन सब चीजों को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये अपना प्रयास जारी रखेगा जबकि बजट में आर्थिक वृद्धि खासकर रोजगार बढ़ाने वाली वृद्धि तथा निर्यात को बढ़ावा देने वाले उपायों पर विशेष गौर किया जा सकता है।

टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद

वेतनभोगी वर्ग देश में करदाताओं का सबसे बड़ा समूह माना जता है। वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि उनके लिए सरकार को कुछ राहत की घोषणा करनी चाहिए। सरकार को नई आयकर व्यवस्था को आकर्षक बनाने या पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब को कम करने पर विचार करना चाहिए। बता दें कि पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत लागू 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने के लिए भी कई अपीलें की गई हैं। वित्त विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि महामारी के बाद लोगों की आय में धीमी वृद्धि हुई है। महंगाई भी बढ़ी है। इसलिए वेतनभोगी व्यक्तियों की मांग उचित है। लेकिन वे आगामी बजट में इस तरह की घोषणाओं को लेकर बहुत आशा नहीं रखते हैं। कई अर्थशास्त्रियों ने पहले ही कहा है कि बिगड़ते वैश्विक आर्थिक माहौल और अगले वित्त वर्ष में जीडीपी में मंदी की संभावना को देखते हुए सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

अंतिम पूर्ण बजट

बता दें केंद्र सरकार इस वर्ष विश्व की पांचवी अर्थव्ययवस्था को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला बजट पेश करेगी। 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। चूंकि आम चुनाव वर्ष 2024 में होने हैं। इसलिए अगले वर्ष सरकार सिर्फ लेखानुदान पेश कर सकेगी।

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