देश भर में बढ़ रहा एच3एन2 संक्रमण,केन्द्र सरकार ने बुलाई राज्यों की बैठक,मरीजों की संख्या 3 हजार के पार,अब तक दो की मौत

H3N2 infection

देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने से जहां राहत महसूस की जा रही थी, वहीं अब एच3एन2 इन्फ्लूएंजा संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता का सबब बने हुए हैं। कोरोना के बाद ये संक्रमण जानलेवा साबित हो रहा है। बता दें हरियाणा और कर्नाटक में इस संक्रमण के चलते एक-एक मरीज की मौत हुई है। साथ ही देश भर में अब तक एच3एन2 सहित विभिन्न फ्लू से संक्रमित मरीजों की संख्या तीन हजार से ज्यादा हो गई है। इनमें से 1245 मरीज जनवरी में सामने आए थे। वहीं पिछले माह फरवरी में 1307 सामने आए। अब एक से नौ मार्च तक 486 मरीज मिल चुके हैं। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों को बढ़ते संक्रमण को लेकर सतर्कता और लगातार निगरानी के निर्देश जारी किए हैं। केन्द्रीय मंत्री ने इसके साथ ही सभी तरह की मदद का आश्वासन भी राज्यों को दिया है। बता दें कर्नाटक के हासन जिले में एच3एन2 से संक्रमित 82 साल के हिरे गौड़ा की एक मार्च को मौत हुई थी। वे मधुमेह और तनाव से भी पीड़ित थे। वहीं हरियाणा के रोहतक में भी पिछले महिने 8 फरवरी को कैंसर से पीड़ित 56 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हुई थी।

नीति आयोग की राज्यों के साथ बैठक

नीति आयोग की इस मसले को लेकर राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के साथ बैठक होने जा रही है। देश में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के मामले तेजी से बढ़ने के बाद अधिकार प्राप्त समूह और कोविड-19 के लिए वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह यानी एनईजीवीएसी भी आंतरिक बैठक करने जा रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य निगरानी अधिकारी जनस्वास्थ्य की इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। हम यदि कोविड सतर्कता नियमों का पालन करते हैं तो इस संक्रमण से आसानी से बच सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो करीब 10 लाख से ज्यादा लोग तीव्र श्वसन बीमारी, इन्फ्लूएंजा (एआरआई, आईएलआई) से पीड़ित हो चुके हैं। इस साल जनवरी में 3 लाख 97,814 और फरवरी में 4 लाख 36,523 और मार्च के पहले सप्ताह में 1 लाख 33,412 लोग संक्रमित हुए। इस साल जनवरी में 7041, फरवरी में 6919 और 9 मार्च तक 1866 मरीजों को भर्ती किया गया है। ऐसे में युवा, बच्चे और बुजुर्गों को सबसे अधिक सावधानी की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर से मौसमी इन्फ्लूएंजा के मरीज बढ़ रहे हैं। एच3एन2 संक्रमण का प्रसार भी बढ़ रहा है। मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि इस संक्रमण में मार्च के अंत तक कमी आ सकती है।

एच3एन2 की पर्याप्त दवा उपलब्ध

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में बताया कि सरकार एच3एन2 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अनुशंसित दवा ओसेल्टामिविर फ्री में उपलब्ध कराई जा रही है। राज्यों के पास इस दवा का पर्याप्त भंडार मौजूद है। मंत्रालय का कहना है वास्तविक समय के आधार पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम यानी आईडीएसपी नेटवर्क के जरिये मौसमी इन्फ्लूएंजा की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। बता दें मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है। यह संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस के चलते होता है। वैसे भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के दो पीक देखे जा रहे हैं। जिनमें से पहला जनवरी से मार्च और दूसरा मानसून के बाद अक्सर दिखाई देता है। ऐसे में उम्मीद है कि मार्च माह के अंत तक संक्रमण के बढ़ते मामलों में कमी आने की उम्मीद है। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि देश में एच3एन2 के बढ़ते मामलों को सरकार सतर्क है। समीक्षा बैठक में राज्यों को अलर्ट रहने के साथ स्थिति की बारीकी से नजर रखने की भी सलाह जारी की गई है। केंद्र सरकार की ओर से स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।

क्या हैं एच3एन2 के लक्षण

बात करें एच3एन2 के लक्षण की तो चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि खांसी, बुखार, ठंड लगना, जी मिचलाना, उल्टी, गले में दर्द और खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द, बार बार छींक आना और नाक बहना ये इसके सामान्य लक्षण हैं। वहीं किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। उसे सीने में दर्द या बेचैनी महसूस होती है या लगातार बुखार और भोजन करते समय गले में दर्द हो तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अत्यंत संक्रामक H3N2 इन्फ्लुएंजा एक इंसान से दूसरे इंसान में खांसने और छींकने या किसी संक्रमित शख्स से बात करने पर निकलने वाली बूंदों के जरिये फैल सकता है। ये तब भी फैल सकता है जब कोई किसी ऐसी सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह या नाक को छूता है। जहां पहले से वायरस मौजूद होता है। वहीं गर्भवती महिलाओं, बच्चे, बुजुर्गों और गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को इस फ्लू से संबंधित जटिलताओं का अधिक खतरा हो सकता है।

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