होली, भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध और रंगीन त्योहार है, जो मुख्य रूप से हिंदू धर्म में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली मनाने के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं। आइए उन कारणों पर नज़र डालते हैं।
- क्यों मनाई जाती है होली?
- बुराई पर अच्छाई की विजय
- राधा और कृष्ण की लीला
- कृषि के मौसम की शुरुआत
- सांस्कृतिक और सामाजिक एकता
आग में जलने से बच गये प्रहलाद… होलिका जल गई
होली का एक प्रमुख कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी से जुड़ा है। हिरण्यकश्यप एक दुष्ट राजा था। जिसने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद अपने विश्वास से डिगे नहीं। अंत में हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने कोशिश की। जो अग्नि से अजेय मानी जाती थी। उसने भक्त प्रहलाद को आग में जलाने का प्रयास किया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए, लेकिन होलिका जल गई। इस दिन बुराई पर अच्छाई की विजय को याद किया जाता है और होली की रात को होलिका दहन किया जाता है। जिसमें लकड़ियां जलाकर बुराई को नष्ट करने का प्रतीकात्मक कार्य किया जाता है।
कृष्ण ने राधा के साथ रंगों से खेलते हुए दिया था प्यार और खुशी का संदेश
होली का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण भगवान कृष्ण और राधा से जुड़ा है। कृष्ण जी ने अपनी प्यारी राधा और अन्य गोपियों के साथ रंगों से होली खेली थी। कृष्ण ने राधा के साथ रंगों से खेलते हुए प्यार और खुशी का संदेश दिया था। इसलिए होली का यह रूप भी खास है। जिसमें लोग एक-दूसरे को रंगों से नहलाते हैं। भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं।
किसानों के लिए खुशी और समृद्धि का प्रतीक है होली
होली का एक और पहलू कृषि से जुड़ा हुआ है…यह समय फसल की कटाई और नई फसल की शुरुआत का होता है। इसलिए यह दिन किसानों के लिए खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। होली का त्योहार इस समय की खुशियों को मनाने और अच्छे मानसून की कामना करने के रूप में भी मनाया जाता है।
होली का पर्व सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देता है। इस दिन, जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव को छोड़कर सभी लोग एक साथ मिलकर रंग खेलते हैं। मिठाइयां खाते हैं। एक-दूसरे से मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। यह एक तरह से सभी मतभेदों को भुलाकर सबको एकजुट करने का प्रयास है।
बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है होली
होली बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। यह एक ऐसा त्योहार है जो केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन हम पुरानी कड़वाहटों को भुलाकर नए रिश्तों की शुरुआत करते हैं और जीवन को रंगों से भरते हैं।…प्रकाश कुमार पांडेय