जानें कहां है देश का इकलौता मंदिर जहां प्रसाद की जगह भगवान को चढ़ाई जाती है शराब ?

काल भैरव

उज्जैन देश के धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है. यहां का महाकाल ज्योर्तिलिंग पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन इसके साथ ही बाबा महाकाल की नगरी में और भी कई ऐसे मंदिर है जो भक्तों के बीच काफी प्रसिध्द है. इनमें से कई ऐसे मंदिर है जो बड़े रहस्यमी है.इन रहस्यमी मंदिरों के राज से पर्दा तो आज तक विज्ञान भी नहीं उठा पाया है. हर साल बड़ी मात्रा में श्रध्दालु इन मंदिरों में अपने भगवान की पूजा करते है.

इन्हीं में से एक मंदिर है बाबा काल भैरव का मंदिर. काल भैरव मंदिर में भगवान को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है और न सिर्फ शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है , बल्कि भगवान की मूर्ति इसे पीती भी है. इस रहस्य का आज तक पता नहीं चल पाया है कि भगवान की मूर्ति शराब कैसे पी लेती है. वैज्ञानिक भी मूर्ति के शराब पीने की वजह को ढूंढने की कोशिश कर चुके है लेकिन वे भी आज तक सफल नहीं हो पाएं है. चलिए आपको मंदिर से जुड़ी कुछ और रोचक बाते बताते है.

 

मंदिर से जुड़ी है मान्यता
भगवान काल भैरव को हर दिन 2000 बोतल शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है. शराब को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के पीछे मान्यता बताई जाती है. कहा जाता है कि कि काल भैरव को मदिरा का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से शरीर के सारे रोग दूर हो जाते है और सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर के पास आपको कई शराब की दुकाने मिल जाएगी जिन्हें प्रशासन की अनुमति से संचालित किया जाता हैं.

 

भगवान पीते है मदिरा
मंदिर के पुजारी बताते है कि भगवान काल भैरव मंत्र उच्चार के साथ शराब पी जाते है. पीने के बाद शराब कहा जाती है , इसका आज तक पता नहीं चल पाया है. भारत सरकार ने इस अनूठे चमत्कार पर शोध भी करवाया , लेकिन उसमें भी कुछ सामने नहीं आया. भक्त इसे भगवान की महिमा मानते है .

 

कालभैरव है बाबा महाकाल की नगरी के रक्षक
उज्जैन के लोकल लोग बताते है कि भगवान काल भैरव पूरे क्षेत्र की रक्षा करते है. यहां के क्षेत्र पर उनका राज है और वे बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में विद्यमान हैं. इसी कारण से आज तक उज्जैन पर जितने भी राजाओं ने राज किया है, सभी काल भैरव की पूजा विधि से संलग्न रहे है. आज भी कहा जाता है कि कोई भी राजा या सुप्रीम लीडर उज्जैन में रात नहीं रूक सकता है, क्योंकि यहां के सिर्फ एक ही राजा है और वो है बाबा महाकाल.

 

6000 साल पुराना है मंदिर
मध्यप्रदेश के क्षिप्रा नदी के तट पर बसा कालभैरव मंदिर 6000 साल पुराना माना जाता है. इसे तांत्रिक मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की खास विशेषता यह भी है कि यहां भगवान काल भैरव को मदिरा, मांस, बलि, मुद्रा जैसी चीजों का भोग लगाया जाता है.

जानें कहां है देश का इकलौता मंदिर जहां प्रसाद की जगह भगवान को चढ़ाई जाती है शराब ?

 

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