भारत देश अपने मंदिरों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. यहां पर कई ऐसे रहस्यमी मंदिर जिनके रहस्यों से विज्ञान भी आज तक पर्दा भी नहीं उठा पाया है. चलिए आज आपको एक ऐसे ही मंदिर के सफर पर लें चलते है. हिमाचल की कालीधार पहाड़ियों के बीच मौजूद मां ज्वाला देवी का ज्वालामुखी मंदिर पूरे विश्व भर में प्रसिध्द है. यह मंदिर मा भगवती के 52 शक्तिपीठों में से एक है. हिंदु कथाओं के अनुसार यहां मां सती की जीभ गिरी थी. यहां के मंदिर की जमीन से ज्वाला निकलती है. यह ज्वाला नौ रंगों का होती है. मंदिर की निकलने वाली ज्वालाएं कैसे निकलती है और इनका रंग कैसे चेंज हो जाता है, इसका रहस्य विज्ञान भी नहीं पता कर पाया है.चलिए आपको मां ज्वाला देवी के रहस्य से रूबरू करवाते है और ज्वालामुखी मंदिर की कुछ रोचक बाते बताते हैं.
मंदिर में मौजूद है नौ ज्वालाएं
मां ज्वाला देवी के मंदिर का निर्माण सबसे पहले राजा भूमि चंद ने करवाया था. इसके बाद समय समय पर राजाओं द्वारा इसका पुननिर्माण करवाया गया.ज्वाला देवी के मंदिर में नौ तरह की ज्वालाएं मौजूद है. खास बात यह है कि इन नौ ज्वालाओं का रंग भी परिवर्तित होता है. अलग अलग रंगों की निकलने वाली इन ज्वालाओं को देवी मां के नौ रूप में देंखा जाता है. लोकल्स इन ज्वालाओं को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी का रूप मानते है.
मंदिर से जुड़ी है पौराणिक कथा
ज्वाला देवी के मंदिर से पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार बाबा गोरखनाथ माता के बड़े भक्त थे. एक बार बाबा ने भूख लगने पर मां से कहा कि आप पानी गरम करें तब तक मैं भीक्षा मांगकर लाता है. लेकिन बाबा गोरखनाथा भीक्षा लेने गए तो वापस लौटकर आएं ही नहीं. कहा जाता है कि यह वहीं ज्वाला है जो मां ने जलाई थी. कुछ ही दूरी पर एक कुंड भी बना है जिससे भाप निकलती प्रतीत होती है, जिसे गोरखनाथ की डिब्बी भी कहा जाता है. मान्यता है कि कलयुग के अंत में बाबा गोरखनाथ लौटेंगे तब तक ये ज्वाला जलती है रहेगी.
अकबर कर चुका है बुझाने की कोशिश
मंदिर से निकलने वाली इन ज्वालाओं को बुझाने की कोशिश अकबर ने भी की थी. अकबर ने जब इस ज्वाला के बारे में सुना था तो वो अपनी सेना के साथ इसे बुझाने के लिए निकल गया. अकबर ने ज्वाला को बुझाने की कई कोशिशे की लेकिन वो ज्वाला को बुझा नहीं पाया. इसके बाद उसने नहर की खुदाई करवाने की कोशिश करी लेकिन उसमें भी वो सफल नहीं हो पाया . आखिर में वो थक हारकर मां के चमत्कार के आगे नतमस्तक हो गया.
वैज्ञानिक भी कर चुके है खोज
आजादी के बाद कई वैज्ञानिक ज्वाला की जड़ का पता लगाने की कोशिश कर चुके है. लेकिन आज तक किसी को कभी कोई जानकारी नहीं मिली है. ब्रिटिशर्स भी इस ज्वाला को बुझाने की कोशिश कर चुके है, लेकिन वे भी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएं हैं.
मंदिर में होती है सारी मनोकामनाएं पूरी
ज्वालादेवी के मंदिर में दर्शन मात्र करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. ज्वालामंदिर से जुड़ी एक भक्त की भी कहानी है. मान्यता के अनुसार भगत ने मां को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश दान कर दिया था, तभी से कहा जाता है कि जो मां से सच्चे मन से मांगता है , वो कभी खाली हाथ नहीं जाता है