मुख्तार को दस और अफजाल को 4 साल की सजा,जाएगी सांसदी

योगी सरकार में कसा शिकंजा

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का डॉन मुख्तार अंसारी को दस साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही पांच लाख का जुर्माना भी भरना होगा। इसके साथ ही अंसारी के भाई और बसपा के सांसद अफजाल को चार साल की सजा एमपी एमएलए कोर्ट ने सुनाई है। सजा के बाद अब अफजाल की सांसदी भी जाने की संभावना बढ़ गई है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज प्रकरण के आधार पर अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था। जबकि मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या का मामला मुहम्मदाबाद थाने अपराध क्रमांक 1051 और 1052 दर्ज किया गया था।

एएसपी पर हमले का लगा आरोप

1996 में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी ने अपनी धमक बनाए रखने के लिए एक एएसपी स्तर के अधिकरी पर प्राण घातक हमला करवा दिया। हमले के आरोप शांत होते इससे पहले अंसारी पर मकोका और गैंगस्टर एक्ट के तहत कई प्रकरण दर्ज हो गए। 1997 में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एक व्यापारी का अपरण करने का आरोप भी लगा। इसके पहले 1991 में पुलिस की हिरासत से फरार हुए अंसारी ने सनसनी फैला दी थी। इसी दौरान दो पुलिस कर्मियों की जान भी चली गई थी। अंसारी परिवार से करीब दो दशक बाद विधायकी छिनी तो नागवार गुजर गई। चुनाव जीते कृष्णानंद राय से अंसारी परिवार की तनातनी चल ही रही थी कि इसी बीच उनकी हत्या हो गई। इस हत्याकांड के आरोप भी मुख्तार अंसारी पर लगे। इस अपरोधों का ग्राफ बढ़ता गया और अंसारी पर लगभग 5 दर्जन प्रकरण दर्ज हो गए।

योगी सरकार में कसा शिकंजा

मुख्तार के बढ़ते अपराध और हौंसलों के आगे उत्तर प्रदेश में कानून भी बौना दिखाई देता था। इसी बीच 2017 में भाजपा की योगी सरकार आ गई और मुख्तार पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया। जब सख्ती बढ़ी तो उप्र छोड़कर पंजाब के जेल में मुख्तार ने शरण ली। फिर कोर्ट के आदेश पर पंजाब सरकार को मुख्तार को वापस सौंपना पड़ा। पिछले साल वापस लाए जाने के बाद से वह बांदा जेल में बंद है। अब मुख्तार की मऊ, गाजीपुर, लखनऊ में 400 करोड़ की संपत्ति या तो जब्त हो चुकी या ध्वस्त की जा चुकी है।

ऐसे शुरु हुई राजनीति

अगर मुख्तार अंसारी के राजनीतिक सफर को देंखे तो 1996 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। जिसके बाद मुख्तार लगातार 5 बार विधायक रह चुका है। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट बेटे को सौंप दी।

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