ऐसा नही है कि मध्यप्रदेश की राजनीति ऐसा नही कि घोटाले नही हुए हो बहुत सारे घोटाले हुए भी कुछ उजागर हुए कुछ नहीं लेकिन ऐसा घोटाला शायद पहली बार हुआ जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं टेक होम पोषण आहार को लेकर। टेक होम पोषण आहार को लेकर प्रदेश में 110 करोड़ का घोटाला हुआ था। कांग्रेस का कहना है कि ये बीजेपी के राज में हुआ है जबकि बीजेपी कह रही है कि ये पूरा घोटाला कांग्रेस के समय को घोटाला है तो चलिए अब हम कैग की उस रिपोर्ट से समझने की कोशिश करते है कि आखिर ये रिपोर्ट किस समय की है। रिपोर्ट की एग्जीक्यूटिव समरी के पहले पन्ने पर ही साफ लिखा है कि रिपोर्ट मतलब कि रिपोर्ट 2018. 2021 के बीच की है।
ये दौर वो था जब मप्र में कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों की सरकारें रहीं। रिपोर्ट के अंदर के पन्ने पलटते है तो साफ है कि 2018 अप्रेल के समय का भी जिक्र है और 2020 और 21 का भी मतलब भी साफ है कि जब कि ये रिपोर्ट थी उस समय प्रदेश में कांग्रसे और बीजेपी दोनों की सरकार रही। कांग्रेस की सरकार कम समय को रही केवल दिसंबर 2018 से लेकर मार्च 20 मार्च 2020 तक रही तो वही बाकी समय बीजेपी की सरकार रही।
ये घोटाला प्रदेश के तकरीबन आठ जिलों से जुड़ा हुआ है जो चारा घोटाले की तर्ज पर हुआ। टनों से राशन सामग्री की सप्लाई हुई लेकिन कागजों में क्योंकि जिन गाडि़यों के नंबर लगाए गए थे उनमें से कार और दो पहिया वाहन थे। बहरहाल घोटाले को लेकर कांग्रेस मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रही है तो वहीं बीजेपी जता रही है कि ये उसके समय का घोटाला नही है जो रिपोर्ट है वो कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के वक्त की है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का नाम आते ही कांग्रेस फिर तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री पर कारवाई का मांग उठाती नजर आइ। फिर क्या बीजेपी की तरफ से कोई नया ही जवाब आ जाता है। घोटाले के खुलासे के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहते हैं कि ये कैग की अंतिम रिपोर्ट नहीं है। इस पर विभाग को अभी अपना पक्ष प्रस्तुत करना है। कांग्रेस ने पोषण आहार संयत्र को महिला स्व सहायता समूह से वापस लेने की कार्रवाई की थी। कांग्रेस शासनकाल में निम्न स्तर का पोषण देने के लिए 35 करोड़ रूपए का राशि रोकी गई। हालांकि ट्वीट में कांग्रेस शासन काल के अलावा कोई और जिक्र नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्वीट के साथ ही पूर्व मुख्यमत्री कमलनाथ ने भी सीधे पलटवार किया और कहा कि आखिरकार तीन दिन बाद भारी चिंतन के बाद आपका मौन टूटा। आखिर में कमलनाथ ने कहा कि जिस कैग रिपोर्ट का आधार बनाकर कांग्रेस की सरकार के खिलाफ भाजपा नेता हंगामा मचाते रहे हैं बीजेपी अब उस रिपोर्ट को ही खारिज करने लगी।
हालाकि मुख्यमंत्री कि ट्वीट के साथ साथ एक और सफाई जारी की गई है। माना जा सकता है कि ये सरकार की तरफ से इसमें अलग अलग लिखा है। इसमें लिखा है कि सभी के जवाब देने और बताने की कोशिश की गई है लेकिन आखिरी में जो विशेष टिप्पणी है उसमें कांग्रेस सरकार कटघऱे मे खड़ा किया है। चलिए अब समझते है कि बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर कीचड़ क्यों उछाल रहे हैं। दरअसल ये रिपोर्ट दोनों ही सरकार के समय की है। लेकिन सबसे बड़ी बात है उस समय की महिला और बाल विकास मंत्री रहीं इमरती देवी की। अगर 2018 छोड़ दे तो दोनो ही समय महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी रहीं हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में आई थीं।। यही वजह है कि कांग्रेस के सरकार कम समय के लिए थी और कांग्रेस का सीधा सा तर्क है कि अगर गलती है तो उस समय की महिला एवं बाल विकास मंत्री यानी इमरती देवी पर कारवाई करें और इमरती देवी महाराज सिंधिया की करीबी हैं। यही वजह है कि बीजेपी बैकफट पर नजर आ रही है। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश के घोटाले और महाघोटाले के लिस्ट में ये घोटाला याद किया जाएगा। क्योंकि इस घोटाले में एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का खेल दोनों ही दल भरपूर खेल रहे हैं।