जहां जमीन के अंदर बसे हैं पूरे एक दर्जन गांव

पाताल लोक के बारे में तो आप सबने सुना होगा। हिंदू धर्म ग्रंथों में तीन लोक बताए गए है। ये तीन लोक है स्वर्गलोग, मृत्युलोक और पाताल लोक। पाताल लोक को लेकर कई सारे किस्से भी आपने सुने होंगे। स्वर्गलोक तो हममे से किसी ने हीं देखा लेकिन हम आपको पाताल लोक दिखाऐंगे। जिस पातातलोक की हम सैर कराने वाले हैं उनकी कहानी रामायण में भी मिलती है। पौरणिक कथाओं में इसका जिक्र मिलता है। कहा जाता है ये वही पालातलोक है जहां से मेघनाद स्वर्ग गए और यही पर हनुमान ने उनकी पूजा भंग की थी। पातालकोट के आदिवासी आज भी मेघनाद की पूजा करते हैं।

मध्यप्रदेश में है पातालकोट

पालालकोट है छिंदवाडा जिला मुख्यालय से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर। तामिया से यहां का रास्ता जाता है।

पातालकोट प्रदेश का ब़डा पर्यटन स्थल है और यहां रहते हैं पालातकोट भारिया। ये यहां के आदिवासी है गोंड़ आदिवासी। जो जमीन से 1700 फुट नीचे रहते है। पातालकोट जाने के लिए सीढिया उतरनी होती है। -सीढिया उतरकर जब हम नीचे जाते हैं तो एक अलग ही दुनिया होती है। सतपुड़ा की हरी भरी दिखने वाली इन पाहडियों के गर्भ में बसी है एक पूरी दुनिया। जमीन के नीचे बसे लोग वैसे तो कोई नए नहीं है लेकिन उनकी दुनिया में जाकर और उनको देखकर मन रहस्य और रोमांच से भर जाता है। यहां एक दो नहीं बल्कि पूरे 12 गांव बसे हैं।  जमीन तकरीबन 1700 फीट नीचे ये आदिवासियों के परिवार रहते है। इनके घऱ घास-फूस और लडकियों के बने है। पालालकोट में कोई भी मकान आधुनिक तरीके का नहीं मिलेगा। इनका मुख्य भोजन आज भी आम की गुठलियों को सूखाकर उसे आटे से बनता है। नीचे आम के पेड़ बहुतायत में है। इसके अलावा नीचे आम के पेड़ों के साथ साथ जड़ी बूटी का बड़ा भंडार है।  आज भी आदिवासी किसी डाक्टर के पास जाने से पहले अपने गांव के झुमका से इलाज कराते हैं। जब तक पातालकोट में लोग नहीं जाते थे तब ये माना जाता था कि वहां रोशनी नहीं आती। लेकिन हकीकत ये है कि यहां जमीन के नीचे होने के चलते यहां छांव होती है अंधेरा नहीं। यहां हमेशा थोड़ी छोड़ी बारिश होती रहती है। पातालकोट के आखिरी गांव के पास एक गुफा है और एक प्राकृतिक झरना भी। कहा जाता है कि गुफा से गुजरकर पचमढी जाया जाता है। लेकिन आजतक कोई गया नहीं हैं। वहीं एक प्राकृतिक नदी बहती है पालालकोट में जो यहां के पानी का एकमात्र स्त्रोत है। पहले पालातकोट के लोग ऊपर की दुनिया से कटे थे। लेकिन अब सरकारी योजनाऐं पालालकोट तक जा रही हैं और पालाकोटके लोग अपने जीवन बसर के लिए ऊपर बाजार में आकर सामान बेचते है।बहराहल पालालकोट आज भी ऊपर बसे लोगों के लिए रहस्य और रोमांच से भरा है।

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