कांग्रेस मप्र में सत्ता में वापस आने का दावा कर रही, लेकिन उसके कई दिग्गज नेता ऐसे हैं चुनावी मैदान में उतरने से कतरा रहे हैं। ऐसे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। पिछले दिनों स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने भी चुनाव नहीं लड़ने की बात कहकर सभी को चौंका दिया था। अरुण यादव ने पार्टी हाईकमान तक भी अपना ये संदेश पहुंचा दिया है। वहीं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के साथ ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी चुनाव मैदान में नहीं उतरने का मन बना चुके हैं। राज्यभा सांसद तन्खा ने तो पत्रकारों से सीधे तौर पर कह दिया था कि वे पूर्णकालिक राजनेता यानी फुलटाइम पॉलिटिशियन नहीं हैं। लिहाजा चुनाव लड़ने की बात ही नहीं उठती है। उधर दिग्विजय सिंह ने अब तक खुलकर चुनाव लड़ने या न लड़ने पर कुछ कहा नहीं है। ऐसे में चर्चा है कि जिस तरह से कांग्रेस के बड़े नेता मैदान में उतरने से पीछे हट रहे हैं। उससे बीजेपी को फिर से फ्रंटफुट पर आने का मौका मिल सकता है। हालांकि कांग्रेसी फिलहाल से मुद्दा बनाने की तैयारी में नहीं हैं। उनका कहना है कि टिकट की घोषणा के बाद ही यह तय होगा कि कौन चुनाव मैदान में उतर रहा है ओर कौन नहीं?
- एमपी विधानसभा चुनाव
- कांग्रेस के दिग्गजों ने बनाई चुनाव मैदान से दूरी
- कैसे पूरा होगा कांग्रेस सत्ता पाने का सपना
- कांग्रेस कर रही मप्र में सत्ता में वापस आने का दावा
- चुनावी मैदान में उतरने से कतरा रहे कई दिग्गज
- पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने बनाया चुनाव न लड़ने का मन
- राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा कहते हैं वे फुलटाइम पॉलिटिशियन
- पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर 66 सीटों की जिम्मेदारी
समर्थकों को टिकट दिलाने की सिफारिश से अटकी सूची
बता दें पिछले दिनों दिलली में 3 अक्टूबर को कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई थी। जिसमें कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी प्रमुख जितेंद्र सिंह के साथ मप्र कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, पूर्व सीएम पीसीसी चीफ कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और अन्य सदस्य मौजूद थे। हालांकि पार्टी सूत्र बताते हैं करीब 100 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर सहमति तो बन गई है लेकिन सूची पितृपक्ष के बाद ही जारी की जाएगी। वहीं कांग्रेस सूत्रों की माने तो मालवा-निमाड़ और विंध्य क्षेत्र की कुछ सीटों को लेकर पेंच फंस गया। इन क्षेत्रों के दिग्गज नेताओं ने अपने करीबियों को टिकट दिलाने की सिफारिश की है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वीटो लगा दिया। ऐसे में स्क्रीनिंग कमेटी में इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम होल्ड कर दिए गए हैं। दरअसल मालवा क्षेत्र में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी तो निमाड़ में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के साथ विंध्य क्षेत्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अपने अपने समर्थकों को चुनाव में ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की पैरवी कर रहे हैं।
दिग्विजय के परिवार से मैदान में उतरेंगे तीन सदस्य
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के परिवार से तीन दावेदार इस बार मैदान में हैं। जिसके चलते वे खुद पीछे हट गए है। दिग्गी के चुनाव नहीं लड़ने की दो वजह भी हैं। पहली उनके परिवार के तीन नेता फिर इस बार भी टिकट के दावेदार हैं। और दूसरी वजह दिग्विजय के कंधों पर 66 सीट जिताने की जिम्मेदारी है। बता दें दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ सीट से विधायक हैं। राघोगढ़ से जयवर्धन का टिकट पक्का माना जा रहा है। वहीं दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह भी चाचौड़ा से विधायक हैं। कांग्रेस इस बार भी चाचौड़ा से लक्ष्मण को टिकट दे सकती है। इसके अलावा दिग्विजय सिंह के भतीजे और खिलचीपुर से विधायक प्रियव्रत सिंह को भी टिकट मिलना लगभग कन्फर्म माना जा रहा है। दरअसल पहले भी दिग्विजय सिंह के परिवार की इन तीनों को लेकर पार्टी फोरम में कई बार सवाल खड़े हो चुके है। इतना ही नहीं उदयपुर डिक्लेरेशन में भी कांग्रेस ने एक परिवार से एक टिकट की बात भी कही थी। इसके अलावा दिग्विजय सिंह पर प्रदेश की 66 सीटों को जीताने की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी है। ऐसे में वे खुद चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस में बड़ा मुद्दा बन सकता है। ऐसे में दिग्विजय सिंह पीछे हटत नजर आ रहे हैं।
दो बार चुनाव हार चुके हैं विवेक तन्खा
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा की बात करें तो वे मैदानी चुनाव हार चुके हैं। लोकसभा के 2014 और 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में विवेक तन्खा नहीं चाहते कि विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़े लिहाजा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इधर कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव पुराने वादे को पूरा करना चाहते हैं। ऐसे में अरुण यादव के भी विधानसभा चुनाव न लड़ने का मन बना लिया है। चर्चा है कि उनहोंने पार्टी संगठन महासचिव को इस बारे में सूचना भी दे दी है। दरअसल उनके चुनाव न लड़ने की एक वजह पिछला वादा भी है। पिछले 2018 के चुनाव में अरुण यादव निमाड़ के किसी सीट से मैदान में उतरने का मन बना रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें शिवराज के खिलाफ बुधनी से मैदान में उतार दिया। इतना ही नहीं चुनाव हारने पर भी उन्हें संगठन बड़ा पद देकर एडजस्ट करने का भरोसा दिया गया था, लेकिन वो नहीं हुआ।
मैदान में नजर आएंगे कांग्रेस के ये नेता
विधानसभा चुनाव के मैदान में इस बार कमलनाथ के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, पूर्व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री तरुण भनोट, कमलेश्वर पटेल और कांतिलाल भूरिया नजर आएंगे। इनका चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इनमें से सुरेश पचौरी और अजय सिंह को छोड़कर सभी नेता विधायक भी हैं।