मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने युवा और महिला वोटरों साधने की रणनीति बनाई है। विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आगे कर चुनाव अभियान चलाने की रणनीति पर कांग्रेस फोकस कर रही है। प्रियंका गांधी को खासतौर पर आगे लाया जाएगा। क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना मध्य प्रदेश में धूम मचा रही है। जिसकी काट कांग्रेस तलाश रही है। ऐसे में महिलाओं के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का मुकाबला प्रियंका गांधी करेंगी। बता दें पीसीसी चीफ ओर पूर्व सीएम कमलनाथ ने कर्नाटक और राजस्थान की तर्ज पर राज्य में कई लोकलुभावन घोषणाएं की हैं, लेकिन उनका कोई खास असर नहीं हो रहा है। इसकी वजह ये है कि कमलनाथ ज्यादातर समय भोपाल में रहते हैं। दूसरे नेता टिकट के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। इस कारण जमीन पर ज्यादा काम नहीं हो पा रहा है।
- कांग्रेस जन आक्रोश यात्रा की तैयारी पूरी
- विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा
- प्रियंका गांधी और राहुल गांधी भी होंगे शामिल
- कर्नाटक की तर्ज पर मप्र में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
- आदिवासी क्षेत्रों में जाएंगे राहुल और प्रियंका गांधी
- 19 सितंबर को एक साथ प्रारंभ होगी 7 यात्राएं
प्रियंका गांधी करेंगी 44 सभा और रोड शो
पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा प्रियंका गांधी का इस्तेमाल करेगी। प्रियंका गांधी की 44 सभाएं और रोड शो आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी चौतरफा अभियान चलाने की कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा के दौरान राहुल और प्रियंका गांधी भी अलग-अलग इलाकों के प्रमुख केंद्रों पर मौजूद रह सकते हैं। ये दोनों सुपरस्टार प्रचारक आदिवासी इलाकों की जन आक्रोश यात्राओं में खास तौर पर शामिल होंगे।
एक साथ प्रारंभ होंगी 7 जन आक्रोश यात्रा
बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा का जवाब कांग्रेस अपनी जन आक्रोश यात्रा के जरिए देने जा रही है। कांग्रेस की ओर से 19 सितंबर से एक साथ 7 जन आक्रोश यात्राएं निकाली जाएंगी। जन आक्रोश यात्रा में कांग्रेस के बड़े नेता शामिल होंगे। यात्रा के दौरान कई जगह आमसभा का भी आयोजन होगा। वहीं बड़े क्षेत्रों में आयोजित होने वाली जन आक्रोश यात्रा के दौरान आमसभा को कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे।
ये हैं यात्रा के प्रभारी
यात्रा को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा यात्रा समन्वयक और जिलाध्यक्षों के साथ दूसरे पदाधिकारियों के साथ मंथन कर रूट चार्ट तैयार किया है। यात्रा के प्रभारी और रथ का रूट चार्ट इस प्रकार है। जीतू पटवारी नीमच, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, उज्जैन, उज्जैन, आगर-मालवा, राजगढ़, सीहोर, शाजापुर, देवास के प्रभारी है। वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह को श्योपुर के भिंड, मुरैना, दतिया ग्वालियर, अशोकनगर और गुना की जिम्मेदारी दी है। इसी प्रकार अरुण यादव को छतरपुर, टीकमगढ़ के साथ निवाड़ी, पन्ना और दमोह, सागर, विदिशा, रायसेन, भेापाल की भी जिम्मेदारी दी है।
जबकि कमलेश्वर पटेल को सिंगरौली, सीधी, डिंडौरी, मंडला, शहडोल, बालाघाट, सतना का प्रभार दिया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के पास रीवा और सीधी के साथ उमरिया, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन का प्रभार है।पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी छिंदवाड़ा,बैतूल, सिवनी, हरदा, नर्मदापुरम और कांतिलाल भूरिया को खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, धार,अलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा की जिम्मेदारी दी गई है।
आदिवासी इलाकों पर सबसे ज्यादा फोकस
कांग्रेस राज्य में अपना सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी इलाकों पर रखने जा रही है। राहुल गांधी सितंबर और अक्टूबर में आदिवासी इलाकों का दौरा कर सकते हैं। उनकी सभाएं इस तरह आयोजित की जाएंगी कि ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर उनका असर हो सके। खास बात यह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां आदिवासी इलाकों में बूथ मैनेजमेंट के लिए गुजरात और झारखंड से कार्यकर्ताओं और नेताओं को बुला रही हैं। इतना ही नहीं गुजरात में आदिवासी सीटों पर बीजेपी को एकतरफा सफलता मिली थी। इस बार पार्टी मालवा निमाड़ क्षेत्र की आदिवासी सीटों की जिम्मेदारी गुजरात के नेताओं को और विंध्य, बघेलखंड और महाकौशल क्षेत्र की आदिवासी सीटों की जिम्मेदारी झारखंड के आदिवासी नेताओं को देगी। कांग्रेस भी मध्य प्रदेश में आदिवासी नेताओं की नियुक्ति करने जा रही है।
जयस ने बढ़ाई कमलनाथ की चिंता
पूर्व सीएम कमलनाथ की सबसे बड़ी चिंता जयस और उसके गठबंधन को लेकर है। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानी जयस और आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की टेंशन बढ़ाने जा रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में 5 सीटें और 13 फीसदी वोट हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी अब मध्य प्रदेश में अपना फोकस बढ़ाने जा रही है। वहीं जयस मुस्लिम, ओबीसी और दलित पार्टियों के साथ मिलकर मोर्चा बनाने की तैयारी में है। यह मोर्चा कम से कम 85 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा। इनमें से 47 आदिवासियों और 35 दलितों के लिए आरक्षित सीटें होंगी। इस बार अगर जयस निर्दलीय चुनाव लड़ती है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। खासकर आदिवासी सीटों पर जयस की मौजूदगी कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। अभी पिछले महीने जयस ने भोपाल में डॉ.हीरालाल अलावा की मौजूदगी में एक बड़ी बैठक की थी। जिसमें 10 छोटे समूहों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में दलित नेता और पूर्व सांसद डॉ.बुद्धसेन पटेल भी मौजूद थे। डॉ.हीरालाल अलावा दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग का एक मोर्चा बनाना चाहते हैं। जिसमें मुस्लिम संगठन भी शामिल होंगे। जयस की बैठक में सांसद ओवैसी की पार्टी भी मौजूद रही। ऐसा कोई भी मोर्चा कमलनाथ की रणनीति को जबरदस्त नुकसान पहुंचाएगा। देखना यह है कि कमलनाथ इस मोर्चे से कैसे निपटते हैं। कांग्रेसियों का भी मानना है कि 2023 का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो वाला साबित होने वाला है। खुद दिग्विजय सिंह कई बार कह चुके हैं कि अगर इस बार कांग्रेस एकजुट होकर सत्ता में नहीं आई तो यह राज्य हमेशा के लिए कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा।
विपक्षी दल अलग-अलग लड़ रहे हैं चुनाव
आम आदमी पार्टी ने अभी अपने 20 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी लगातार अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही है। इस बीच जयस 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसका भीम आर्मी के साथ गठबंधन है। मध्य प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी को 7 फीसदी वोट मिले हैं। अगर 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उसे इतने ही वोट मिले तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। सरकार विरोधी वोटों के बंटवारे से बीजेपी को 2023 में गुजरात की तरह फायदा हो सकता है।